NSE Phone Tap Case: न्यायालय ने एनएसई फोन टैप मामले में पूर्व पुलिस आयुक्त को जमानत देने के उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप से किया इनकार
उच्चतम न्यायालय ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों की कथित फोन टैपिंग से जुड़े धनशोधन मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडेय को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से सोमवार को मना कर दिया.
नयी दिल्ली, आठ मई: उच्चतम न्यायालय ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों की कथित फोन टैपिंग से जुड़े धनशोधन मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडेय को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से सोमवार को मना कर दिया. न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल आठ दिसंबर को पांडेय को जमानत देने के फैसले में की गयी टिप्पिणयों का मामले की सुनवाई के दौरान कोई असर नहीं पड़ेगा. यह भी पढ़ें: HC on Legal Education in Schools: दिल्ली उच्च न्यायालय का स्कूलों में कानूनी पढ़ाई से संबंधित याचिका पर विचार करने से इनकार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर फैसला करते समय ‘संक्षिप्त मुकदमे’ की तरह सुनवाई की. पीठ ने कहा, ‘‘इसे रहने दीजिए.’’ इसके बाद कहा कि पांडेय को जमानत देने का आदेश छह महीने पुराना है.
तब राजू ने यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से मामले में सुनवाई पर असर नहीं पड़ना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि जमानत देते हुए की गयी टिप्पणियों का किसी तरह सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा.’’
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि पांडेय प्रथम दृष्टया अपराध से अर्जित धन को रखने के दोषी नहीं हैं. उसने एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की दो जमानत राशियों पर कुछ शर्तों के साथ उनकी रिहाई का आदेश दिया था.
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