देश की खबरें | सरकारी अस्पतालों में गंभीर देखभाल वाले रोगियों के लिए सुविधाओं की कमी पर अदालत ने जताई चिंता

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में गंभीर देखभाल वाले रोगियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर सोमवार को चिंता जताई और शहर की सरकार से पूछा कि क्या अस्पतालों के लिए आवंटित धनराशि को अन्य परियोजनाओं में लगाया जा रहा है।

नयी दिल्ली, आठ जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में गंभीर देखभाल वाले रोगियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर सोमवार को चिंता जताई और शहर की सरकार से पूछा कि क्या अस्पतालों के लिए आवंटित धनराशि को अन्य परियोजनाओं में लगाया जा रहा है।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा, जिसमें पिछले पांच साल में स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने पर खर्च की गई रकम का ब्योरा शामिल करने को कहा गया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ को दो और तीन जनवरी की दरमियानी रात हुई एक घटना के बारे में जानकारी दी गयी। पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) वैन से कूदने वाले एक व्यक्ति का चार सरकारी अस्पतालों द्वारा इलाज करने से इनकार करने के बाद उसकी मौत हो गई थी।

पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 2017 में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से सवाल किया कि दुर्घटना पीड़ितों को अस्पतालों में भर्ती क्यों नहीं किया जा रहा और ऐसा कैसे हो सकता है कि इन सभी अस्पतालों में कोई जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) बिस्तर उपलब्ध नहीं है।

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ''चीजें कहां गलत हो रही हैं? क्या जरूरी सुविधाएं नहीं है? बिस्तर क्यों उपलब्ध नहीं हैं, हाल के वर्षों में क्या हुआ है? जरा कल्पना करें, चार अस्पतालों में एक व्यक्ति को भर्ती नहीं किया जाता है।''

उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि सुविधाएं शहर की बढ़ती आबादी की मांग के अनुरूप नहीं हैं। अदाीलत ने कहा कि पहले शहर के हालात ऐसे नहीं थे और दुर्घटना के मामले में तुरंत नजदीकी अस्पताल में पीड़ित को भर्ती कर लिया जाता था।

अदालत ने यह भी पूछा कि क्या अस्पतालों के लिए आवंटित धनराशि को अन्य परियोजनाओं में लगाया जा रहा है। उसने दिल्ली सरकार को इसका पता लगाने व अगली सुनवाई में विवरण देने का निर्देश दिया।

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