देश की खबरें | न्यायालय ने गवाह संरक्षण योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी पर चिंता व्यक्त की

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नयी दिल्ली, 20 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कानूनी प्रणाली में गवाहों की स्थिति को दयनीय बताते हुए गवाह संरक्षण योजना, 2018 के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी पर चिंता व्यक्त की।

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि गवाह अदालत को, खासकर आपराधिक मुकदमों में सही निष्कर्ष पर पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अंग्रेजी दार्शनिक और न्यायविद जेरेमी बेंथम को उद्धृत करते हुए न्यायालय ने कहा, “गवाह न्याय की आंखें और कान हैं।”

पीठ ने कहा, “हालांकि, भारतीय न्याय व्यवस्था में गवाहों की स्थिति बहुत दयनीय है। सत्ता में बैठे लोगों, उनके गुर्गों और भाड़े के लोगों के इशारे पर गवाहों को धमकाया जाता है, बल प्रयोग करके मजबूर किया जाता है और पैसे का लालच दिया जाता है, ताकि सच्चाई को दबाया जा सके और न्याय का मजाक उड़ाया जा सके।”

न्यायालय ने कहा, “गवाह संरक्षण योजना, 2018 को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया है और इस अदालत द्वारा अनुमोदित किया गया है, लेकिन इसका कोई प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हुआ है।”

अदालत ने यह टिप्पणी एक मामले में सीबीआई जांच का आदेश देते हुए की, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने से इनकार किया था और दावा किया था कि उसने अपनी ओर से मामला दायर करने के लिए अदालत में मौजूद किसी भी वकील को कभी नियुक्त नहीं किया था।

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