नयी दिल्ली, 17 जनवरी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग को दलों द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर प्रत्याशियों की आपराधिक पृष्ठभूमि और उनके चयन की वजह का प्रकाशन सुनिश्चित कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में राजनीतिक दलों की वेबसाइट पर जानकारी प्रकाशित कराने के साथ ही निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सभी दल यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में भी प्रकाशित करें और अगर इन निर्देशों का उल्लंघन होता है तो पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ अदालत की अवमानन की याचिका दाखिल करें।
पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है। याचिका में उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह प्रत्येक पार्टी से पूछे कि उसने क्यों आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी का चुनाव किया और क्यों साफ सुथरी छवि वाले को मौका नहीं दिया।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता भारत के निर्वाचन आयोग को यह भी निर्देश देने का आनुरोध करता है कि उस पार्टी का पंजीकरण रद्द करे जो उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करते हैं।’’
इसमें दावा किया गया है कि याचिका समाजवादी पार्टी ,जो पंजीकृत है और मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी है, द्वारा कैराना निर्वाचन क्षेत्र से कथित गैंगस्टर नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया लेकिन उसने उच्चतम न्यायालय फरवरी, 2020 के फैसले में दिये गए निर्देशों की भावना के अनुरूप उम्मीदवारी घोषित होने के 48 घंटे के भीतर उनके आपराधिक रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रकाशित नहीं करने के तथ्य के मद्देनजर दायर की गयी है।
याचिका में दावा किया गया, ‘‘इससे नागरिकों पर पहुंचने वाली चोट बहुत बड़ी है क्योंकि यहां तक मान्यता प्राप्त पार्टी खतरनाक अपराधियों को टिकट दे रही है। इसलिए मतदाता स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से मतदान करने में परेशानी महसूस करते हैं जबकि अनुच्छेद 19 के तहत यह मौलिक अधिकार है।’’
याचिका में कहा गया कि अपराधियों को विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ने देने की अनुमति देने के नतीजे लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए बहुत घातक है।
याचिका में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान न केवल वे बड़ी मात्रा में अवैध धन का दुरुपयोग हस्तक्षेप करने के लिए करते हैं बल्कि मतदाताओं और प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी को भी धमकाते हैं।
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