देश की खबरें | अदालत ने भोपाल गैस त्रासदी में जीवित बचे लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का निर्देश दिया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव और भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र को 1984 गैस त्रासदी के रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने के लिए एक सप्ताह के भीतर एक कार्य योजना को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है।

जबलपुर, आठ जनवरी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव और भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र को 1984 गैस त्रासदी के रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने के लिए एक सप्ताह के भीतर एक कार्य योजना को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय का छह जनवरी का आदेश बुधवार को अपलोड किया गया। मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने 1984 की त्रासदी में जीवित बचे लोगों के पुनर्वास को लेकर ‘भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन’ द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किए। पीठ ने कहा, "ऐसा लगता है कि प्रतिवादी पूरा किए जाने वाले कार्य के प्रति गंभीर नहीं हैं।"

पीठ ने कहा, "भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव तथा भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर के निदेशक एक सप्ताह के भीतर एक साथ बैठकर कार्ययोजना को अंतिम रूप देंगे, ताकि वर्तमान याचिका में मुद्दे को समय-सीमा में और तेजी से निष्पादित किया जा सके।" अदालत ने प्रतिवादियों को "उपर्युक्त प्राधिकरण की पहली बैठक की दिन-प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने और संबंधित उद्देश्य के लिए आवश्यक धनराशि सुनिश्चित करने" का भी निर्देश दिया।

अदालत के नौ दिसंबर, 2024 के निर्देश के अनुपालन में प्रतिवादियों द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि "वर्ष 2014 से पहले के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं, इसलिए, प्रतिदिन केवल तीन हजार पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है"।

हलफनामे में कहा गया है, "जिसके अनुसार, यह अनुमान है कि कुल लगभग 550 दिन में काम पूरा हो जाएगा लेकिन काम शुरू होने के बाद ही सटीक समय-सीमा का पता लगाया जा सकेगा।"

हलफनामे में कहा गया है कि ई-हॉस्पिटल परियोजना के तहत क्लाउड सर्वर की स्थापना के लिए एनआईसी से प्रस्ताव प्राप्त किया गया है, जो वित्त विभाग की वित्तीय स्वीकृति के लिए लंबित है और इसके लिए वित्त वर्ष 2025-26 में बजट आवंटित होने की उम्मीद है। इसके बाद स्कैन किए गए रिकॉर्ड को उक्त सर्वर में शामिल किया जाएगा। एनआईसी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, पूरा काम 12 महीने में पूरा किया जाएगा।

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