नयी दिल्ली, 11 फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर सरकार को उस व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने का निर्देश दिया है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित था और जिसकी कोविड-19 की जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई थी।
उच्च न्यायालय ने शहर सरकार की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना था और व्यक्ति की मृत्यु आरटी-पीसीआर रिपोर्ट में संक्रमित होने की बात सामने आने के एक महीने बाद हुई थी और इसलिए, उक्त व्यक्ति का परिवार मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार आर्थिक सहायता योजना (एमसीपीएएसवाई) के तहत मुआवजे का हकदार नहीं है।
अदालत ने अस्पताल की इस रिपोर्ट पर गौर किया कि याचिकाकर्ता के पति को कोविड-19 हुआ था और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 19 जून, 2021 को मृत्यु होने तक वह अस्पताल में ही थे।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘मृत्यु संबंधी रिपोर्ट स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि उक्त व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित था और उसे कोविड-19 के दुष्परिणामों का सामना करना पड़ा, उसकी स्थिति में कभी सुधार नहीं हुआ और अंततः 19 जून, 2021 को उसकी मृत्यु हो गई। सिर्फ इसलिए कि मृत्यु का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु कोविड-19 से उत्पन्न जटिलताओं के कारण नहीं हुई।’’
अदालत एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने 2021 में अपने पति की कोविड-19 से मृत्यु के लिए एमसीपीएएसईवाई के तहत मुआवजा जारी करने के लिए राज्य प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने छह फरवरी को दिये आदेश में कहा, "प्रतिवादी संख्या 3 (संबंधित एसडीएम) को याचिकाकर्ता को आज से दो सप्ताह की अवधि के भीतर एमसीपीएएसवाई योजना के तहत अनुग्रह राशि जारी करने का निर्देश दिया जाता है।"
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