देश की खबरें | अदालत ने एम्स को गर्भवती महिला की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया, जो इस बात पर विचार करेगा कि 22 सप्ताह की एक गर्भवती महिला के लिए गर्भपात कराना सुरक्षित होगा या नहीं और वह बोर्ड भ्रूण की स्थिति की जांच करेगा।

उच्च न्यायालय 31 वर्षीय एक विवाहित महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने कहा है कि उसने तलाक के लिए अर्जी दायर करने का फैसला किया है और इसलिए, वह गर्भपात कराना चाहती है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि मेडिकल बोर्ड तत्काल गठित किया जाए और 48 घंटे के अंदर अदालत के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

महिला ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई कि उसे चिकित्सकीय गर्भपात अधिनियम के प्रावधानों के तहत आज की तारीख तक 22 सप्ताह चार दिन के हुए उसके गर्भ को गिराने की अनुमति दी जाए।

महिला ने याचिका में अपने पति को पक्ष नहीं बनाने का फैसला किया है, इसलिए उच्च न्यायालय ने उसे निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के मेमो में संशोधन कर उसके पति को मामले में पक्ष बनाया जाए।

उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 19 अक्टूबर की तारीख तय की।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)