जरुरी जानकारी | न्यायालय ने सहारा समूह को मुंबई में जमीन के लिए संयुक्त उद्यम बनाने की अनुमति दी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सहारा समूह को 15 दिन के भीतर एक अलग एस्क्रो खाते (तीसरे पक्ष का खाता) में 1,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश देते हुए मुंबई के वर्सोवा में अपनी जमीन के विकास के लिए एक संयुक्त उद्यम (जेवी) स्थापित करने की अनुमति दे दी, जिससे 10,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकें।

नयी दिल्ली, पांच सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सहारा समूह को 15 दिन के भीतर एक अलग एस्क्रो खाते (तीसरे पक्ष का खाता) में 1,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश देते हुए मुंबई के वर्सोवा में अपनी जमीन के विकास के लिए एक संयुक्त उद्यम (जेवी) स्थापित करने की अनुमति दे दी, जिससे 10,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकें।

न्यायालय के 2012 के आदेश के अनुपालन में निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यदि संयुक्त उद्यम/विकास समझौता 15 दिन के भीतर अदालत में दाखिल नहीं किया जाता है तो वह वर्सोवा में 1.21 करोड़ वर्ग फुट जमीन ‘जहां है जैसी है’ के आधार पर बेच देगी।

पीठ ने कहा, “हम एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल (दोनों सहारा समूह की कंपनियां) को आज न्यायालय में दिए गए बयान का अनुपालन करने के लिए 15 दिन का समय देते हैं। यदि संयुक्त उद्यम/विकास समझौता 15 दिन के भीतर दाखिल नहीं किया जाता है, तो यह न्यायालय वर्सोवा भूमि को जहां है, उसी के आधार पर बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।”

आदेश के अनुसार, “तीसरे पक्ष द्वारा जमा की जाने वाली 1,000 करोड़ रुपये की राशि एस्क्रो खाते में रखी जाएगी। अगर इस न्यायालय द्वारा अनुमोदन/अनुमति (संयुक्त उद्यम समझौते के लिए) नहीं दी जाती है, तो राशि उक्त तीसरे पक्ष को वापस कर दी जाएगी।”

इसने मामले को एक महीने बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

शीर्ष अदालत ने सहारा समूह की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को मुंबई में एंबी वैली परियोजना सहित अन्य संपत्तियों के विकास के लिए संयुक्त उद्यम समझौता करने की अनुमति दे दी है, जिन्हें 2012 में लगभग 25,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया था।

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