ईद के उत्साह पर कोरोना वायरस का असर, लॉकडाउन की वजह से नहीं हुआ बड़ा जमावड़ा
ईद-उल-फितर 2020 (Photo Credits: File Image)

नयी दिल्ली: भारत में ईद-उल फितर का त्योहार कोरोना वायरस की महामारी के साये में मनाया गया और इस बार लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की नियमों की वजह से मस्जिदों, ईदगाहों पर ईद की नमाज नहीं पढ़ी गई और न ही त्योहार मनाने के लिए लोगों का जमावड़ा देखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं ने लोगों को ईद की मुबारकबाद दी और कहा कि यह खास अवसर करुणा और सद्भावना के भाव को और मजबूत करेगा. ऐतिहासिक जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद के प्रांगण में जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग ईद की नमाज पढ़ने पहुंचते थे, इस बार वहां सन्नाटा पसरा रहा. केवल शाही इमाम और मस्जिद से संबंधित कर्मचारी परंपरागत नमाज का हिस्सा बने. देश के अन्य हिस्सों में भी दृश्य अलग नहीं था क्योंकि लॉकडाउन की पाबंदियों की वजह से धार्मिक स्थल बंद है और यह प्रतिबिंबित करता है कि भारत में 1.3 लाख लोगों को संक्रमित कर चुकी कोरोना वायरस महामारी ने लोगों की जिंदगी को कितना बदल दिया है.

कुछ जगहों पर मस्जिदों के दरवाजे पर सूचना लगी थी कि महामारी की वजह से ईद की नमाज घर पर ही पढ़ें. कई इलाकों की प्रमुख मस्जिदों के आसपास भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था और यातायात पर रोक लगाई गई थी. कई प्रमुख धार्मिक नेताओं और संगठनों ने भी लोगों से सरकार के सामाजिक दूरी और लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करने और घर में ही नमाज पढ़ने की अपील की थी. पारंपरिक रूप से ईद के मौके पर परिवार और समुदायों के मिलने और मुबारकबाद देने के बजाय लोग इस बार ऑनलाइन मिले. वहीं 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने की वजह से कई लोग परिवार से मिलने के लिए घर नहीं पहुंच सके. दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने ईद के मौके पर दिए संदेश में कहा, ‘‘ लोगों को जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए खासतौर पर उनकी, जो इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं. लोग सामाजिक दूरी जैसे एहतियाती कदमों के साथ वायरस को हरा सकते हैं.’’

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वहीं कोरोना वायरस के खतरे की वजह से घर पर रहने को मजबूर जामिया नगर में रहने वाले स्कूल शिक्षक शफीक आलम ने कहा, “मैंने अपने दो भाइयों और हमारे बच्चों के साथ घर पर ही नमाज अदा की.” उन्होंने कहा, “लेकिन स्थानीय मस्जिद में होने वाली ईद की नमाज की कमी बहुत महसूस हो रही है क्योंकि यह मित्रों और पड़ोसियों से मिलने, उन्हें गले लगाने और आपसी प्रेम का मौका होता था.” ईद के दौरान बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर दिखने वाली रौनक इस बार नदारद रही. दंगा प्रभावित पूर्वोत्तर दिल्ली के कई परिवार अभी भी जिंदगी को सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं.

अपने चार भाईयों के साथ पुराने मुस्तफाबाद में करीब 20 साल से मिठाई की दुकान चला रहे फुरकान का कहना है कि रमजान के महीने में सामान्य तौर पर हमारे पास इतना काम होता है कि हम एक महीने में छह महीने जितना काम करते हैं.

ईद पर कुछ कमाई हो जाएगी, यह सोचकर फुरकान ने करीब तीन महीने बाद ईद पर दुकान खोली.

वह कहते हैं, ‘‘ इस साल पहले दंगों और फिर लॉकडाउन के कारण दुकान बंद रही, पिछले तीन महीने में हमारी कोई कमाई नहीं हुई है. हम ईद कैसे मनाएं , जबकि जरूरी सामान खरीदने तक के लिए हम मुश्किल से पैसे जोड़ रहे हैं? ’’ उत्तरी कोलकाता की नाखोदा मस्जिद के बगल में स्थित जकारिया स्ट्रीट पर भी चहल-पहल नहीं दिखी. पहले यहां हर साल ईद के मौके पर सड़कों पर खाने के स्टॉल और अन्य दुकानें सज जाती थीं. राज्य के मंत्री और कोलकाता नगर निगम के प्रशासक फरहाद हाकिम ने दक्षिण कोलकाता के अपने चेतला आवास पर पत्नी और बेटियों के साथ नमाज अदा की. हाकिम ने संवाददाताओं से कहा, “हमारी सामूहिक नमाज खुदा से कोरोना वायरस को हटाने और चक्रवात के कारण परेशान लोगों की मुश्किलें दूर करने को लेकर थी.”

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कमरहाटी के फूलबागान इलाके में रिक्शा खींचने वाले इरफान ने कहा कि वह और उसके परिवार के सदस्य एक पड़ोसी के घर गए और वहां मिलकर नमाज अदा की. उसने कहा, “इस साल हम कमरहाटी बड़ी मस्जिद नहीं जा सके क्योंकि इमाम ने सभी से घर पर रहने को कहा था. इस मौके पर मेरी पत्नी ने सेवई बनाई थी” बंगाल इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने कहा कि राज्य की सभी 26 हजार मस्जिद समितियों ने लोगों से घर पर ही ईद की नमाज अदा करने को कहा था.

लखनऊ के प्रमुख मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना खालिद रशिद फिरंगी महली ने गिने चुने लोगों के साथ ईद की नमाज अदा करने के बाद कहा, ‘‘इस मैदान में हर साल ईद और बकरीद में भारी भीड़ होती थी लेकिन आज हमें स्थिति की गंभीरता को समझना होगा.’’ इस मौके पर सभी मास्क पहने हुए थे और सामाजिक दूरी का अनुपालन कर रहे थे.

हैदराबाद सहित तेलंगाना के विभिन्न स्थलों पर भी ईद का जश्न फीका रहा जबकि हर साल खासतौर पर पुराने हैदराबाद में बड़े पैमाने पर उत्सव मनाया जाता रहा है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के समन्वयक एसके मुद्दीन ने कहा कि मुस्लिमों ने लॉकडाउन के नियमों का कड़ाई से पालन किया. उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय जो रमज़ान की शुरुआत (पवित्र महीना जिसकी समाप्ति पर ईद मनाई जाती है) से धैर्य जैसे गुणों से जुड़ा हुआ है, आज प्रकट हुआ.’’ राजस्थान की राजधानी जयपुर के पुराने इलाके में, जहां पर लोगों की आवाजाही पर रोक है वहां पर, महिला पुलिसकर्मियों ने बच्चों को चॉकलेट और उपहार दिए. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है लेकिन निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर जहां पर 17 मई से छूट दी गई थी वहां भी अधिकतर लोग घरों में ही रहे.

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गुजरात के राजकोट में पुलिस अधिकारियों ने मुस्लिम बहुल इलाकों में मार्च किया और लोगों से ईद मनाने के दौरान सामाजिक दूरी के नियमों का अनुपालन करने की अपील की. पुलिस के मुताबिक, राज्य में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित अहमदाबाद में ईद शांतिपूर्ण तरीके से गुजर गयी.

पुलिस उपायुक्त (नियंत्रण) विजय पटेल ने कहा, ‘‘ अमहदाबाद में मुस्लिम समुदाय ने हमारी पाबंदियों का अनुपालन किया और आज घर में ही ईद मनायी. मस्जिदों और खुले में नमाज पढ़ने के लिए भीड़ एकत्र नहीं हुई. विरोध का एक भी मामला सामने नहीं आया है. ईद का त्योहार सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया.’’ गुवाहाटी के उद्यमी अतिकुर रहमान बारभुइया ने कहा कि उनका परिवार खरीदारी करने और गरीबों को पैसे बांटने बाहर नहीं जा सका जो लॉकडाउन में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.

उन्होंने लॉकडाउन के बीच इस साल आई ईद को महिलाओं के लिए परेशानी में मिला वरदान करार दिया. अतिकुर ने कहा कि सामान्य तौर पर महिलाएं मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं जातीं लेकिन इस बार घर में परिवार के पुरुष सदस्यों के साथ ईद की विशेष नमाज उन्होंने पढ़ी. उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने बेटी और बेटे के साथ घर में ईद की नमाज पढ़ी.’’ बेंगलुरु के जामा मस्जिद के खातिब ए इमाम मौलाना मकसूद इमरान ने कहा, ‘‘ हमारे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है. अगर हमने दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किया तो इससे न केवल हम मुश्किल में आएंगे बल्कि डॉक्टर और सरकार की मुसीबत भी बढ़ जाएगी. अगर हम नियमों का अनुपालन करते हैं तो यह सबसे बड़ा उत्सव होगा.’’ रमजान के महीने की समाप्ति पर ईद का पर्व मनाया जाता है. केरल और जम्मू-कश्मीर में रविवार को ईद का पर्व मनाया गया था.

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