जयपुर, 17 फरवरी : कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने शुक्रवार को अडाणी समूह (Adani Group) के शेयरों में आई भारी गिरावट पर चुप्पी के लिए केंद्र और जांच एजेंसियों पर निशाना साधा. कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि केंद्र संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) क्यों नहीं बुला रहा है और जांच एजेंसियां सेबी, आरबीआई और वित्त विभाग मामले पर चुप क्यों हैं. वल्लभ ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा "कांग्रेस ने अडाणी समूह के मामलों पर संसद में सवाल पूछे. इसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया. अडाणी समूह को विदेशी शेल कंपनियों से प्राप्त काले धन का मालिक कौन है. मोदी जी जेपीसी रखने से क्यों डर रहे हैं. आप किसे बचाना चाहते हैं?"
देश के विभिन्न शहरों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की पहल पर "हम अदाणी के हैं कौन" के मुद्दे को उठाने के लिये वल्लभ आज यहां पहुचे थे. उन्होंने कहा कि आज की यह विशेष प्रेस वार्ता ‘‘ हम अडाणी के है कौन’’ सीरीज की वार्ता है. एआईसीसी की ओर से देश भर के 23 शहरों में आज इस प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है. जेपीसी गठन के मामले में उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों में सत्ताधारी पार्टी के सांसद ज्यादा हैं… आप डरते क्यों हो मोदी जी? उन्होंने कहा, ‘‘ आपके (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) डर को मिटाने के लिये हमने भारत जोड़ो यात्रा की है.. आप डरो मत.. सत्यता के साथ खड़े रहो.. आप जेपीसी से क्यों भाग रहे हो जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट कह रही है कि टैक्स हेवन कंट्री से अडाणी को पैसा मिला.. उस पैसे का मालिक कौन है.’’ उन्होंने कहा कि जेपीसी से मोदी जी डरो मत क्यों डर रहे हो किसे बचाना चाह रहे हो. यह भी पढ़ें : असम के जोरहाट बाजार में भीषण आग में 300 से अधिक दुकानें जलीं
उन्होंने कहा कि 25 दिन में अडाणी ग्रुप का 10.5 लाख करोड़ की मार्केट कैप में कमी आई.. सेबी ने कोई जांच नहीं की.. किसका पैसा डूबा.. उन छोटे छोटे निवेशकों का पैसा डूबा जिन्होंने बढे हुए भाव अडाणी ग्रुप के शेयर खरीद लिये.. उसके भाव आधे हो गये.. सेबी, आरबीआई, वित्त विभाग खामोश बैठे हुए है. ’’ उन्होंने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि प्रकरण के बाद एलआईसी के 44,000 करोड़ रुपये डूब गए और कंपनी फिर से अडाणी समूह के एफपीओ में 300 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए तैयार हो गई. उन्होंने कहा कि ‘‘डेढ महीने में एलआईसी के 44 हजार करोड़ रूपये के निवेश में कमी आ गई और वो कंपनी 300 के अडाणी ग्रुप के एफपीओ में निवेश के लिये तैयार हो जाती है और सेबी और वित्त मंत्रालय खामोश बैठे है और जब हम संसद में सवाल पूछते हैं तो उसे कार्यवाही से हटा देते है.’’ वल्लभ ने आरोप लगाया कि 2001 में केतन पारेख घोटाले में की गई जेपीसी और फिर सेबी ने इसमें अडाणी ग्रुप की भूमिका पाई थी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी व्यक्ति या पूंजीवाद के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह एकाधिकार और मित्र-पूंजीवाद के खिलाफ है.
उन्होंने कहा "हम 609वें स्थान से दुनिया का दूसरा सबसे अमीर आदमी बनने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम मित्रवत-पूंजीवाद के पूरी तरह से खिलाफ हैं. देश के अन्य औद्योगिक समूहों को यह फॉर्मूला क्यों नहीं मिल रहा है. हम 'अमृतकाल' के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम मित्रकाल के खिलाफ हैं." उन्होंने कहा कि यह संयोग है या प्रयोग कि विदेश में प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं वहां अडाणी ग्रुप को कोई न कोई बड़ा प्रोजेक्ट मिल ही जाता है. हाल ही में अमेरिकी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के दाम गलत तरीके से बढ़ाने के आरोप लगने के बाद से इनमें भारी गिरावट देखी गई है. पिछले तीन सप्ताह में समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 125 अरब डॉलर तक नीचे आ चुका है. हालांकि, अडाणी समूह ने धोखाधड़ी के आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग ने गलत मंशा से ये आधारहीन आरोप लगाए हैं.