जरुरी जानकारी | एनडीटीवी मामले में सीबीआई की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ शिकायतकर्ता ने स्वीकार की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. मीडिया कंपनी एनडीटीवी से कर्ज पुनर्भुगतान लेने में आईसीआईसीआई बैंक पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाने वाले शिकायतकर्ता ने इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की मामला बंद करने की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
नयी दिल्ली, 15 जनवरी मीडिया कंपनी एनडीटीवी से कर्ज पुनर्भुगतान लेने में आईसीआईसीआई बैंक पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाने वाले शिकायतकर्ता ने इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की मामला बंद करने की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
शिकातकर्ता ने इस मामले में जांच एजेंसी की जांच पर भी संतोष जताया है। सीबीआई के मुताबिक, इस मामले में कोई मिलीभगत, आपराधिक साजिश या पद का दुरुपयोग नहीं पाया गया है।
सीबीआई ने पिछले साल एक विशेष अदालत के समक्ष मामला बंद करने की संस्तुति करने वाली रिपोर्ट दायर की थी। छह साल तक चली जांच में आईसीआईसीआई बैंक और एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय एवं राधिका रॉय के बीच लेनदेन में कोई भी अनियमितता नहीं पाई गई थी।
यह मामला क्वांटम सिक्योरिटीज लिमिटेड के संजय दत्त की शिकायत पर दर्ज किया गया था। दत्त ने आरोप लगाया था कि आईसीआईसीआई बैंक ने एनडीटीवी प्रवर्तकों की समूची 61 प्रतिशत हिस्सेदारी को गिरवी रखकर वर्ष 2008 में 375 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया था।
विशेष अदालत ने हाल ही में दिए गए आदेश में कहा, "शिकायतकर्ता (संजय दत्त) का बयान दर्ज किया गया है कि वह सीबीआई द्वारा दायर मामला बंद करने (क्लोजर) की रिपोर्ट के विरोध में कोई याचिका दायर नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वह जांच से संतुष्ट हैं।"
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि अब अदालत यह तय करेगी कि ‘क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या मामले में आगे की जांच का आदेश दिया जाए।
सीबीआई ने अपनी ‘क्लोजर रिपोर्ट’ में कहा था कि प्रणय रॉय और राधिका रॉय से कम ब्याज दर पर कर्ज की अदायगी स्वीकार करते समय आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों ने कोई मिलीभगत, आपराधिक साजिश या पद का दुरुपयोग नहीं किया था।
अदाणी समूह ने वर्ष 2022 में अल्पांश शेयरधारकों को भुगतान की गई कीमत से लगभग 17 प्रतिशत अधिक कीमत पर रॉय से शेयर खरीदकर एनडीटीवी की नियंत्रक हिस्सेदारी हासिल कर ली।
सीबीआई ने इस मामले का प्रमोद कुमार एंड एसोसिएट्स द्वारा किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में भी पाया कि ऋण पुनर्भुगतान एक 'सामान्य कारोबारी लेनदेन और ऋण का समापन' था और उसमें बैंकिंग विनियमन अधिनियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ था।
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