देश की खबरें | समिति ने कुछ मंत्रालयों के अतिरिक्त खर्च की प्रवृत्ति पर चिंता जतायी, गहन विश्लेषण करने को कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. संसद की लोक लेखा समिति ने रेलवे समेत कुछ मंत्रालयों द्वारा लगातार आवंटन से अधिक व्यय किए जाने की प्रवृति पर चिंता जाहिर करते हुए संबंधित मंत्रालयों से इसके गहन विश्लेषण के साथ ही सुधारात्मक उपाय करने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर संसद की लोक लेखा समिति ने रेलवे समेत कुछ मंत्रालयों द्वारा लगातार आवंटन से अधिक व्यय किए जाने की प्रवृति पर चिंता जाहिर करते हुए संबंधित मंत्रालयों से इसके गहन विश्लेषण के साथ ही सुधारात्मक उपाय करने की सिफारिश की है।
कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने 10 दिसंबर 2024 को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले एक दशक से अधिक समय से कुछ मंत्रालयों द्वारा अतिरिक्त व्यय की प्रवृति देखी जा रही है जो बजट पूर्वानुमान और वित्तीय अनुशासन में प्रणालीगत अक्षमताओं को दर्शाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति सिफारिश की है कि सिविल मंत्रालय/विभाग और रेलवे एक बार फिर अत्यधिक व्यय की पुनरावृत्ति के कारणों का गहराई से विश्लेषण करें ताकि बजट के साथ-साथ संशोधित अनुमान अधिक सटीक रूप से तैयार किए जा सकें और वास्तविक व्यय संसद द्वारा अधिकृत निधियों के दायरे में रहे।
समिति की रिपोर्ट कहती है कि उर्वरक विभाग, रक्षा मंत्रालय (सिविल), वित्त मंत्रालय (पेंशन) और रेलवे सभी ने पर्याप्त अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने के बाद भी 0.67% से लेकर 10.41% तक अतिरिक्त व्यय किया। यह इन मंत्रालयों और विभागों के भीतर बजट और राजकोषीय प्रबंधन प्रक्रियाओं में एक गहरे मुद्दे को दर्शाता है।
इसमें कहा गया है कि पिछले दस वर्षों के दौरान विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा किए गए अतिरिक्त खर्च की जांच से पता चलता है कि सिविल क्षेत्र में अतिरिक्त व्यय जो वर्ष 2018-19 (एक अनुदान के तहत 0.22 करोड़ रूपये) के दौरान काफी हद तक कम हो गया था, वह वर्ष 2019-20 (दो अनुदानों के तहत 31936.47 करोड़ रूपये) और 2020-21 (तीन अनुदानों के तहत 118651.04 करोड़ रुपये) के दौरान फिर से बढ़ गया और यह वर्ष 2021-22 में 1235.98 करोड़ रुपये रहा।
संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, विनियोग लेखा - रक्षा सेवाओं के संबंध में, पता चला है कि पिछले दस वर्षों की अवधि के दौरान, केवल तीन वर्ष (यानी 2015-16, 2020-21 और 2021-22) ऐसे थे, जब रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित अनुदान/विनियोग के तहत कोई अतिरिक्त व्यय नहीं किया गया था।
समिति ने कहा कि रेल मंत्रालय को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है ताकि पता लगाया जा सके कि वर्ष 2019-20 और 2020-21 के दौरान लगातार दो वर्षों तक वित्तीय विवेक का प्रदर्शन करने के बाद अतिरिक्त व्यय में वृद्धि क्यों हुई? रेलवे का 2021-22 में अतिरिक्त व्यय 55.16 करोड़ रुपये था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)