देश की खबरें | कोचिंग सेंटर में मौतों का मामला : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जलभराव का कारण बताने को कहा

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नयी दिल्ली, 12 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा कि 27 जुलाई को ‘ओल्ड राजेंद्र नगर’ में भारी जलभराव का क्या कारण था, जहां सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से मौत हो गई।

बेसमेंट के सह-मालिकों- परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह- ने पिछले महीने इस आधार पर जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था कि वे केवल उस बेसमेंट के मालिक हैं, जिसे कोचिंग सेंटर को किराये पर दिया गया था और इसलिए, दुर्भाग्यपूर्ण घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने जेल में बंद बेसमेंट के सह-मालिकों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूछा, ‘‘उस दिन (भारी जलभराव का) क्या कारण था? दिल्ली में भारी बारिश हुई। उस दिन इतना जलभराव क्यों था? क्या यह बारिश की वजह से था या कुछ और वजह रही।’’

पीठ ने जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने सीबीआई से इलाके में जलभराव का कारण, घटना के दिन हुई बारिश की मात्रा के साथ-साथ सड़क के पानी को ‘‘अवरुद्ध’’ करने के लिए कोचिंग सेंटर के प्रवेश द्वार पर भारी गेट लगाने के पहलू पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

मध्य दिल्ली के ‘ओल्ड राजेंद्र नगर’ में 27 जुलाई की शाम को भारी बारिश के बाद ‘राव आईएएस स्टडी सर्किल’ की इमारत के बेसमेंट में पानी भर जाने से सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत हो गई थी।

चारों आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने अपनी दलील में कहा, ‘‘मैं (याचिकाकर्ता) हिरासत में हूं। मैंने बहुत कुछ सहा है। कृपया विचार करें... इस समय, मैं केवल रिहाई की मांग कर रहा हूं। मैं मुकदमे का सामना करूंगा।’’

जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और गवाहों के बयान दर्ज किए जाने तक कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वे प्रभावित हो सकते हैं।

पीठ द्वारा पूछे जाने पर सीबीआई के वकील ने कहा कि मौजूदा आरोपियों के खिलाफ 10 दिनों में आरोप-पत्र दाखिल किए जाने की उम्मीद है।

मृतक छात्र नेविन डाल्विन के पिता के वकील ने भी जमानत याचिका खारिज करने के पक्ष में दलीलें दीं और कहा कि कोचिंग सेंटर का संचालन भवन एवं सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करके किया जा रहा था, जबकि मालिकों को पता था कि अनुपालन न करने के कारण मौतें हो सकती हैं।

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