ऐसा माना जा रहा है कि यह यात्रा बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच शिखर वार्ता का आधार बनकर अमेरिका और चीन के संबंधों को स्थिर करने में मददगार हो सकती है।
वांग यी ने अमेरिका पहुंचने के कुछ ही देर बाद ब्लिंकन से मुलाकात की। उन्होंने बंद कमरे में बैठक करने से पहले कहा कि चीन ‘‘संबंधों को यथाशीघ्र स्वस्थ, स्थिर और सतत विकास के पथ पर वापस लाने के लिए’’ सर्वसम्मति बनाने और सहयोग प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
अमेरिकी अधिकारियों ने बैठक से पहले कहा कि वे वांग यी के समक्ष इस बात पर जोर देंगे कि अगर चीन एक प्रमुख जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनना चाहता है तो वह वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका बढ़ाए।
अमेरिका यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को समर्थन देने और इजराइल-हमास युद्ध को लेकर चुप्पी साधने के कारण चीन से निराश है। इसके अलावा दुनिया के दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के बीच मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन, ताइवान, दक्षिण चीन सागर और उत्तर कोरिया जैसे मुद्दों को लेकर भी टकराव है।
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान पर चीन का काफी प्रभाव है। ईरान हमास का एक प्रमुख समर्थक है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वांग यी और ब्लिंकन की बैठक के बाद कहा कि दोनों नेताओं ने ‘‘मतभेद के क्षेत्रों’’ और ‘‘सहयोग के क्षेत्रों’’ पर बात की। उसने कहा कि ब्लिंकन ने ‘‘दोहराया कि अमेरिका अपने और अपने सहयोगियों के हितों एवं मूल्यों के लिए खड़ा रहेगा।’’
वांग के शुक्रवार को ब्लिंकन के फिर से मुलाकात करने की संभावना है। इसके अलावा वह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से भी संभवत: मिलेंगे। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इन बैठकों में ब्लिंकन और सुलिवन चीन से इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्धों में रचनात्मक भूमिका निभाने का आग्रह करेंगे।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वांग बाइडन से मुलाकात करेंगे। ब्लिंकन ने जून में चीन की यात्रा के दौरान चिनफिंग से मुलाकात की थी, इसलिए ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वांग यी भी बाइडन से मिलेंगे।
ये बैठकें अगले महीने सैन फ्रांसिस्को में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच के नेताओं की बैठक के इतर बाइडन और चिनफिंग के बीच एक शिखर वार्ता का मंच तैयार कर सकती हैं।
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