जरुरी जानकारी | शेवरॉन कर्नाटक में 8,300 करोड़ रुपये का निवेश करेगी: मंत्री पाटिल
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराने वाली अग्रणी वैश्विक कंपनी शेवरॉन ने शनिवार को यहां अपना इंजीनियरिंग एवं नवाचार उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 8,300 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की।
बेंगलुरु, 24 अगस्त ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराने वाली अग्रणी वैश्विक कंपनी शेवरॉन ने शनिवार को यहां अपना इंजीनियरिंग एवं नवाचार उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 8,300 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की।
इस निवेश की घोषणा एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान की गई, जिसमें कर्नाटक के बड़े और मध्यम उद्योग तथा बुनियादी ढांचा विकास मंत्री एम बी पाटिल और अन्य लोग शामिल हुए।
बुनियादी ढांचा विकास मंत्री एम बी पाटिल ने कहा, “कर्नाटक लगातार आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। कुल 8,300 करोड़ रुपये के इस निवेश को लागू करने में राज्य सरकार और शेवरॉन कंपनी के बीच सहयोग कर्नाटक में इंजीनियरिंग और नवाचार में महत्वपूर्ण प्रगति का स्पष्ट संकेत है। राज्य सरकार नवाचार, आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
शेवरॉन इंडिया के प्रमुख अक्षय साहनी ने नए केंद्र के लिए कंपनी के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने कहा, "यह भारत की असाधारण प्रतिभा को किफायती, विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए हमारे वैश्विक नेटवर्क के संसाधनों और विशेषज्ञता के साथ काम करने का अवसर प्रदान करेगा।"
मंत्री के कार्यालय द्वारा साझा किए गए एक बयान के अनुसार, केंद्र ऊर्जा प्रणाली प्रौद्योगिकी नवाचारों में तेजी लाने के लिए इंजीनियरिंग और डिजिटल सेवाओं में 2025 तक 600 इंजीनियरों को नियुक्त करेगा। राज्य ने प्रगतिशील नीतियों के माध्यम से तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए अनुकरणीय कदम उठाए हैं, जिससे नवाचार के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार हुआ है।
मंत्री ने कहा कि बेंगलुरू में पहले से ही 500 से अधिक वैश्विक सक्षमता केन्द्र (जीसीसी) हैं तथा वित्त, स्वास्थ्य सेवा, खुदरा, विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों सहित भारत के जीसीसी में इसका योगदान 30 प्रतिशत से अधिक है।
शेवरॉन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (इंजन) स्थानीय पेशेवरों के लिए रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करेगा।
बयान में कहा गया है कि यह उन्हें वर्तमान वैश्विक ऊर्जा मांगों को पूरा करने की चुनौती का जवाब देने और भविष्य में स्वच्छ, कम कार्बन ईंधन के उत्पादन में योगदान करने की अनुमति देगा।
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