देश की खबरें | कारोबारियों की जमानत को चुनौती : अदालत ने आबकारी मामले में आरोप पत्र की प्रति पेश करने को कहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में कारोबारी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र की प्रति उसके समक्ष पेश करे।

नयी दिल्ली, 18 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में कारोबारी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र की प्रति उसके समक्ष पेश करे।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा को नायर और बोइनपल्ली के वकील ने सूचित किया कि निचली अदालत के समक्ष सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र की प्रति उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड पर नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘आरोप पत्र की प्रति रिकॉर्ड पर रखी जाए। मामले को छह अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।’’

उच्च न्यायालय निचली अदालत द्वारा नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सीबीआई ने निचली अदालत के जमानत प्रदान करने के आदेश पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। उच्च न्यायालय ने पूर्व में नायर और बोइनपल्ली को याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सीबीआई के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा दिये गये सभी तर्क ‘‘प्रतिकूल’’ थे। नायर के वकील ने पूर्व में कहा था कि देश में पूरा न्यायशास्त्र बदल गया है और अब जमानत नहीं बल्कि जेल का प्रावधान हो गया है। वकील ने कहा था कि जैसे ही नायर को सीबीआई मामले में जमानत मिली, उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले में गिरफ्तार कर लिया।

अपनी याचिका में सीबीआई ने कहा, ‘‘संबंधित आदेश के माध्यम से विशेष न्यायाधीश ने न केवल बेहद गंभीर और व्यापक आर्थिक अपराध में प्रतिवादी आरोपी को जमानत की राहत दी, बल्कि इस विवेकाधिकार का इस्तेमाल बहुत ही गंभीर और व्यापक आर्थिक अपराध में किया गया है।’’

इसमें कहा गया है कि यह बेहद जटिल तरीके से रची गई साजिश का मामला है, जिसका स्पष्ट उद्देश्य यह प्रयास करना है कि अगर कोई जांच हो तो वास्तविक दोषियों तक यह न पहुंचे।

सीबीआई ने कहा कि उसे दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट की जांच करने के लिए कहा गया था और जब उसने अपनी जांच शुरू की तो उसने नायर की अगुवाई में की गई साजिश का खुलासा किया, जो कथित तौर पर शराब के निजी थोक विक्रेताओं से उनके लिए आबकारी नीति में अनुकूल बदलाव लाने के बदले में धन इकट्ठा कर रहे थे।

सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे खत्म कर दिया।

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