देश की खबरें | केंद्र, राज्यों, एनएसएफ को बड़ी भूमिका निभानी है: अनुराग ठाकुर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर निकट भविष्य में भारतीय खेलों की बेहतरी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की बड़ी भूमिका चाहते हैं।

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर निकट भविष्य में भारतीय खेलों की बेहतरी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की बड़ी भूमिका चाहते हैं।

  भारत ओलंपिक और पैरालंपिक में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद बुलंदियों पर है।

ठाकुर ने यहां शनिवार को ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ के दौरान कहा, ‘‘पहला मुद्दा एक खेल संस्कृति का निर्माण करना है। यह खेलों में लोगों की भागीदारी से लेकर लोगों के मुहिम  बनाने के बारे में है। इस तरह की भावनाओं को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ जिस तरह से प्रधानमंत्री खिलाड़ियों के साथ जुड़ रहे हैं और उन्हें प्रोत्साहित कर रहे है, उससे मुझे लगता है कि यह शुरू हो गया है। वह प्रतियोगिता से पहले उन्हें प्रोत्साहित करते है और उसके बाद भी उनसे मिलते है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।’’

ठाकुर ने कहा, ‘‘ तोक्यो ओलंपिक से पहले समय काफी मुश्किल था। हम कोविड-19 महामारी के कारण परेशानी में थे। स्थानीय स्तर और वैश्विक स्तर पर खिलाड़ियों को अभ्यास का मौका देना आसान नहीं था।’’

ठाकुर ने अपने पूर्ववर्ती किरेन रीजीजू को तोक्यो खेलों में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

ठाकुर ने कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि ओलंपिक के दौरान और ओलंपिक के बाद, हम दोनों के बीच समन्वय है। मुझे लगता है कि भविष्य में केंद्र (सरकार), राज्य (सरकार), राष्ट्रीय खेल संघों , शैक्षणिक संस्थानों द्वारा एक बड़ी भूमिका निभाई जानी है।’’

रीजीजू ने एक बार फिर से दोहराया कि भारत को एक खेल महाशक्ति बनने के लिए खेल संस्कृति विकसित करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका का कोई भी देश खेल पर भारत जितना खर्च नहीं करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे देश में एक बहुत बड़ी गलतफहमी है, इससे पहले कि मैं खेल मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था तब हर कोई सरकार से खेल की देखभाल की उम्मीद कर रहा था। धारणा यह थी कि एथलीट परेशान हैं लेकिन सरकार चिंतित नहीं है या वह पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप यूरोप या अमेरिका को देखें, तो कोई भी सरकार उतना पैसा खर्च नहीं करती है जितना भारत सरकार खेलों पर करती है। सरकार को स्टेडियम और बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं करना चाहिए, इसे और अधिक पेशेवर तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता है।’’

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