देश की खबरें | दिव्यांगों के टीकाकरण सुविधाओं के उन्नयन पर विशेषज्ञों से सुझाव मांगे केंद्र: न्यायालय
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नयी दिल्ली, 25 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सरकार से कहा कि वह दिव्यांगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण सुविधाओं के उन्नयन पर व्यापक प्रतिक्रिया के लिए सभी हितधारकों और संबंधित विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित करे।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय तीन सप्ताह के भीतर इस कवायद को अंजाम दे सकता है और उसके बाद प्राप्त व्यापक सुझाव और प्रस्ताव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समक्ष रख सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के सचिव सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए सुझावों पर विचार करने के बाद उचित निर्णय ले सकते हैं कि क्या दिव्यांगों के लिए टीकाकरण के मौजूदा स्वरूप को उद्देश्य प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रभावी बनाने के लिए किसी संशोधन या परिवर्तन की आवश्यकता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि इस ढांचे की स्थापना का उद्देश्य उस कार्य की प्रकृति को प्रतिबिंबित करना नहीं है, जो पहले से ही किया जा चुका है, बल्कि इसका उद्देश्य टीकाकरण के लिए दिव्यांगों तक पहुंच प्रदान करने के प्रयास को आगे बढ़ाना है।’’
शीर्ष अदालत ने एक गैर सरकारी संगठन 'इवारा फाउंडेशन' द्वारा दायर एक जनहित याचिका को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया, जिसमें दिव्यांगों के लिए उचित टीकाकरण सुविधा का अनुरोध किया गया है।
पीठ ने शुरुआत में कहा कि अदालत के नोटिस जारी करने के आदेश के अनुसार, केंद्र द्वारा शुरू में एक प्रारंभिक हलफनामा दायर किया गया था, जिसके बाद 13 जनवरी को एक अधिक व्यापक हलफनामा दिया गया था।
सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता पंकज सिन्हा ने कहा कि हलफनामे से संकेत मिलता है कि 23,678 दिव्यांगों को टीका लगाया गया है और यह आंकड़ा दिव्यांगों के टीकाकरण की कम दर का संकेत है।
सिन्हा ने कहा कि उन्होंने हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की थी, ताकि इसकी प्रभावशीलता का पता लगा सकें, लेकिन कॉल का जवाब देने वाला व्यक्ति दिव्यांगों के लिए टीकाकरण के प्रावधानों से अनजान था और एक नंबर अमान्य था।
उन्होंने सुझाव दिया कि कोविन सॉफ्टवेयर, जो टीकाकरण के लिए पंजीकरण के वास्ते है, को डोमेन विशेषज्ञों द्वारा पहुंच के लिए प्रमाणित किया जाना चाहिए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र के हलफनामे में बताए गए 23,678 के आंकड़े में वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए अपने विशिष्ट पहचान दिव्यांगता कार्ड का उपयोग किया था।
उन्होंने कहा कि वास्तव में, टीकाकरण के उद्देश्य के लिए नौ पहचानपत्र स्वीकार्य हैं, जिनमें से एक दिव्यांगता कार्ड है और इसलिए 23,678 का आंकड़ा उन अन्य दिव्यांगों को शामिल नहीं करेगा, जिन्होंने टीकाकरण के वास्ते पहचान के वैकल्पिक स्वरूप का इस्तेमाल किया होगा।
भाटी ने कहा कि शुरुआत में घर के पास टीकाकरण केंद्रों के लिए प्रावधान किए गए थे, लेकिन नवंबर 2021 से, केंद्र ने टीकाकरण के पात्र लाभार्थियों का 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने के लिए ‘हर घर दस्तक अभियान’ शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि वॉक-इन टीकाकरण के प्रावधान के साथ, कोविड पोर्टल पर पंजीकरण सहायक महत्व का हो गया है और जहां तक कॉल सेंटर और हेल्पलाइन नंबरों का संबंध है, वहां काम करने वाले कर्मचारियों को उचित प्रतिक्रियाएं देने के लिए राज्य सरकारों द्वारा विधिवत प्रशिक्षित किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एनजीओ द्वारा उठाया गया मुद्दा प्रतिकूल नहीं है क्योंकि यह सहायक सुविधाओं को बढ़ाने से संबंधित है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि दिव्यांगों को टीकाकरण बिना किसी असुविधा के और उनके दरवाजे पर उपलब्ध कराया जाए।
इसने कहा कि वकील के कहने पर अलग-अलग सुझाव अदालत के सामने आए हैं, लेकिन उसका विचार है कि सुनवाई के दौरान तदर्थ सुझावों को स्वीकार करने के बजाय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विशेष रूप से दिव्यांगों के अधिकारिता विभाग की भागीदारी के साथ एक रूपरेखा तैयार करना उचित होगा।
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