देश की खबरें | सीबीआई ने पुरातात्विक उद्यानों के रखरखाव को लेकर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा एक निजी ठेकेदार की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक स्थलों जैसे ‘द रेजीडेंसी’ और ताजमहल में पुरातात्विक उद्यानों के रखरखाव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

नयी दिल्ली, नौ मार्च केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा एक निजी ठेकेदार की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक स्थलों जैसे ‘द रेजीडेंसी’ और ताजमहल में पुरातात्विक उद्यानों के रखरखाव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

ऐसा आरोप है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मैसूर, दिल्ली और कोटा मंडलों में लगे अकुशल श्रमिकों को लखनऊ में ऐतिहासिक स्थलों के उद्यानों का रखरखाव करते हुए दिखाकर फर्जी बिल जमा कर ठेकेदार ने सरकारी धन की हेराफेरी की।

उन्होंने बताया कि कुशीनगर, आगरा, कानपुर आदि शहरों में भी उद्यानों के रखरखाव के लिए इसी तरह के फर्जी बिल जमा किए गए थे, जिसके आधार पर ठेकेदार कुलदीप सिंह द्वारा भारी धनराशि का गबन किया गया।

शिकायत, जो अब प्राथमिकी का एक हिस्सा है, में लखनऊ में पुरातात्विक स्थलों के बारे में विशिष्ट विवरण दिया और आरोप लगाया कि आगरा स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के ताजमहल, अकबर के मकबरे के बगीचे, सिकंदरा, राम बाग और फतेहपुर सीकरी में भी इसी तरह की धोखाधड़ी हुई है।

उन्होंने बताया कि ठेकेदार को विनीत अग्रवाल, बागवानी सहायक, रेजीडेंसी, लखनऊ; बागवानी एएसआई आगरा मंडल-एक में तैनात उपाधीक्षक पी .के. चौधरी और सेवानिवृत्त अधिकारी राज कुमार सहित एएसआई अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर सहायता प्रदान की गई थी।

उन्होंने बताया कि सिंह को वर्ष 2019-20 के लिए उत्तर प्रदेश में पुरातत्व उद्यानों के रखरखाव के लिए 22 अक्टूबर, 2019 को 2.5 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था और फिर इस ठेके को इसी राशि पर अगले वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था।

शिकायत में कहा गया है कि अग्रवाल ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाने में सिंह की मदद की। इसमें कहा गया है कि इन फर्जी दस्तावेजों में मैसूर मंडल के तहत काम करने वाले सात फर्जी मजदूरों की तैनाती को दिखाया गया है, जिनके नाम मेगवन, मनोकरण, कोमल, कुप्पम्मल, कला के कुप्पन, इलंगोवन और अय्यासामी हैं।

इसमें कहा गया है कि एएसआई अधिकारी ने चौधरी और कुमार की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों का ‘सत्यापन’ किया, जिसके आधार पर सिंह को लाखों रुपये की राशि दी गई।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इसी तरह, जनवरी 2020 के लिए, दिल्ली मंडल में सूचीबद्ध आठ मजदूरों के नाम पर ‘द रेजीडेंसी’ के रखरखाव संबंधी बिल जारी किए गए थे।

अधिकारियों ने कहा कि दो बिलों से पता चला है कि कोटा, राजस्थान के आठ मजदूर एक ही समय में कोटा और द रेजीडेंसी, लखनऊ दोनों स्थानों पर काम कर रहे थे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\