जरुरी जानकारी | नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों ने बकाये के लिए एकमुश्त समाधान योजना की मांग की

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नयी दिल्ली, एक दिसंबर रियल एस्टेट कारोबारियों के संगठन क्रेडाई और नारेडको के प्रतिनिधियों ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरणों की सीईओ रितु माहेश्वरी से मुलाकात की और भूमि बकाया राशि को चुकाने के लिए एकमुश्त समाधान योजना की मांग की।

उच्चतम न्यायालय द्वारा 10 जून, 2020 के अपने आदेश को वापस लेने के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट डेवलपर्स बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इस फैसले में विभिन्न बिल्डरों को पट्टे पर दी गई जमीन के बकाया पर आठ प्रतिशत की ब्याज दर तय की गई थी।

इसके बाद विकास प्राधिकरणों ने बिल्डरों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है, जिसमें उन्हें भूमि आवंटन से संबंधित बकाया राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

क्रेडाई ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेश को पूरी तरह लागू करने से इन दो शहरों में 1.5 लाख घरों की रजिस्ट्री में देरी हो सकती है और रियल्टी कारोबारी दिवालिया हो सकते हैं। क्रेडाई ने एकमुश्त समाधान योजना की मांग की है।

क्रेडाई ने एक बयान में कहा, ''उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश से पैदा हुई स्थिति के संबंध में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की सीईओ रितु माहेश्वरी के साथ कल हुई एक बैठक में, नारेडको और क्रेडाई के सदस्यों ने हरियाणा सरकार द्वारा अपनाई गई योजना की तर्ज पर एक-मुश्त निपटान (ओटीएस) योजना लाने का आग्रह किया।''

बयान में कहा गया, ''गंभीर नकदी संकट के साथ डेवलपर के लिए इन मांग को पूरा करना असंभव है और अगर मांग के अनुसार भुगतान नहीं किया गया तो भूखंडों के आवंटन रद्द होने की आशंका है।''

नारेडको-उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आर के अरोड़ा ने कहा कि डेवलपर ने अधिकारियों को यह समझाया कि समस्या का प्रभावी समाधान नहीं किया गया तो लगभग 1.5 लाख घर खरीदारों को फ्लैटों का कब्जा मिलने में दिक्कत आएगी। इसके अलावा बड़ी मात्रा में किया गया निवेश और बैंक तथा वित्तीय संस्थानों का ऋण दांव पर है।

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