देश की खबरें | किताबें युवाओं के मन पर सोशल मीडिया पोस्ट से अधिक प्रभाव डालती हैं : ऊषा उत्थुप
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कोलकाता, 10 जनवरी जानी-मानी पॉप गायिका ऊषा उत्थुप ने शुक्रवार को कहा कि किताबें युवाओं के मन पर सोशल मीडिया पोस्ट के मुकाबले कहीं अधिक गहरा और स्थायी प्रभाव डालती हैं।
उत्थुप ने यहां एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव (एकेएलएफ) के 16वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए युवा पीढ़ी से साहित्य से जुड़ने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “किताबें पढ़ना, उन्हें महसूस करना... यह एक ऐसा अनुभव है, जो बिल्कुल अलग है और कभी पुराना नहीं होगा। मुद्रित शब्द युवाओं के मन पर ज्यादा गहरा और स्थायी प्रभाव डालते हैं। व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के इस्तेमाल में कोई बुराई नहीं है, लेकिन हमें अपनी जड़ों का पता लगाने के लिए किताबों की ओर लौटना होगा।”
उत्थुप (77) ने ‘गणेश वंदना’ और जेम्स बॉन्ड श्रृंखला की फिल्म के लिए लिखे एडेल के मशहूर गाने ‘स्काईफॉल’ की प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने साहित्य महोत्सव को साहित्यिक हस्तियों और कला के अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों की अद्भुत सभा करार दिया और कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जिसमें दुनियाभर के दिग्गज हिस्सा लेते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
उस दिन को याद करते हुए, जब वह पहली बार किसी साहित्य महोत्सव में शामिल हुई थीं, उत्थुप ने मजाकिया लहजे में कहा, “मुझे लगता है कि लोग सोच रहे होंगे कि ‘रंबा हो’ गाने वाली गायिका साहित्य महोत्सव में क्या कर रही हैं? लेकिन, चूंकि साहित्यिक आयोजनों में उनका आना-जाना लगा रहा है, दर्शकों ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया होगा।”
गायिका के रूप में अपने काम और पहचान के बारे में बात करते हुए उत्थुप ने कहा, “मैं अपनी टीम, ध्वनि तकनीशियनों और कैमरे की बदौलत संगीत की दुनिया में सफर जारी रखने में सक्षम हूं।”
उत्थुप ने संगीत के क्षेत्र में अपनी 55 साल लंबी यात्रा पर अपने विचार साझा किए और श्रोताओं का आभार जताया। उन्होंने कहा, “हम अपने श्रोताओं के बिना कुछ नहीं कर सकते।”
दिन में आयोजित एक सत्र में मॉडल और अभिनेता मिलिंद सोमन ने अपनी किताब ‘कीप मूविंग’ पर चर्चा की, जिसे उन्होंने अपनी मां ऊषा सोमन और पत्नी अंकिता के साथ मिलकर लिखा है।
सोमन इस साल 60 वर्ष के हो जाएंगे। उन्होंने कहा, “फिटनेस जीवन का आनंद लेने का अवसर है। फिटनेस प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं है, बल्कि हर पल को स्वीकार करने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार रहने के बारे में है।”
सोमन ने 9 से 23 साल की उम्र तक प्रतिस्पर्धी तैराक के रूप में अपने शुरुआती दिनों को याद किया। उन्होंने कहा, “मैं दौड़ना पसंद नहीं करता था, लेकिन 2004 की मुंबई मैराथन ने इसे बदल दिया। इसने मेरे अंदर उत्साह पैदा किया और मैंने खुद को यह यकीन दिलाने के लिए प्रशिक्षण लिया कि भारतीय ऐसा कर सकते हैं। शंकाओं के बावजूद मैंने 21 किलोमीटर की दूरी आराम से पूरी कर ली।”
तीन दिवसीय एकेएलएफ में डॉ. अलका पांडे, आनंद नीलकांतन, अनीता अग्निहोत्री, आशीष नंदी, ब्लॉसम कोचर, चिन्मय गुहा, कुणाल बसु, मणिशंकर अय्यर, राजदीप सरदेसाई, रामचंद्र गुहा, रुचिर जोशी, शोभा डे, सुगाता बोस, सुमंत्र घोषाल, शॉन केनवर्थी और इला अरुण सहित कई दिग्गज वक्ता शामिल होंगे।
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