देश की खबरें | उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए विकल्पों पर विचार कर रही है भाजपा
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देहरादून, 11 मार्च उत्तराखंड विधानसभा चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक तरह की दुविधा में डाल दिया है क्योंकि निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद पार्टी विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की स्थिति में धामी के पद पर बने रहने की उम्मीद जतायी जा रही थी। हालांकि चुनाव परिणाम में भाजपा ने तो सत्ता बरकरार रखी लेकिन धामी चुनाव हार गए।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को नये नेता के चुनाव के वास्ते विधायक दल की बैठक की निगरानी के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में राज्य भेजा जा सकता है। बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है।
भाजपा ने सत्ता बरकरार रखते हुए उत्तराखंड में इतिहास रच दिया है क्योंकि पूर्व में कोई भी दल विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता बरकरार रखने में सफल नहीं रहा है। भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें जीती हैं।
पार्टी हलकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या उनके शीर्ष नेता धामी पर फिर से भरोसा करेंगे, जिसके लिए यह जरूरी होगा कि कोई मौजूदा विधायक धामी के लिए अपनी सीट छोड़े जिससे उपचुनाव कराने पर वह दोबारा चुनाव लड़ सकें। अथवा नव-निर्वाचित विधायकों में से किसी को नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। भाजपा के पास इस पद के लिए राज्य के अपने वरिष्ठ नेताओं में से किसी को चुनने का विकल्प भी है, जो वर्तमान में विधायक नहीं है।
गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी जीत के बाद जयराम ठाकुर के रूप में एक नया मुख्यमंत्री चुना था। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए उसके पंसदीदा एवं वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए थे। ठाकुर जीते विधायकों में से एक थे।
भाजपा ने उत्तराखंड में अपनी सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में दो मुख्यमंत्रियों को बदल दिया था और धामी ने पिछले साल जुलाई में सत्ता संभाली थी। 46 वर्षीय नेता को पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा था जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मुकाबले से पहले सत्ता विरोधी लहर को निष्प्रभावी करने में कामयाब रहे।
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