रांची, दो अगस्त झारखंड में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में सूखे और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर विशेष चर्चा की मांग करते हुए बुधवार को राज्य विधानसभा के प्रश्नकाल को बाधित किया।
भाजपा विधायकों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। भाजपा सदस्यों ने शून्यकाल और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की कार्यवाही के दौरान भी हंगामा किया।
सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न 11.06 बजे जैसे ही शुरू हुई, भाजपा विधायक सूखे और राज्य की "बिगड़ती" कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग करते हुए आसन के सामने आ गए।
भाजपा के ढुल्लू महतो और राज्य में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सुदिव्य कुमार के बीच तीखी बहस हुई। महतो ने अन्य राज्यों में झारखंड के प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का उल्लेख किया, जिसका कुमार ने विरोध किया।
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने आरोप लगाया कि महतो ने कुमार की ओर उंगली उठाई।
दो विधायकों के बीच बहस बढ़ने पर विधानसभाध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने पूर्वाह्न 11.13 बजे सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही दोबारा जैसे ही शुरू हुई, भाजपा के विधायक फिर आसन के सामने आ गए और वही मांगें उठाईं।
इस बार, कांग्रेस के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक भी आसन के सामने आ गए और राज्य के सूखा प्रभावित प्रखंडों के लिए कथित तौर पर वित्तीय पैकेज आवंटित नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
अध्यक्ष ने पूर्वाह्न 11.38 बजे दोपहर 12.30 बजे तक दूसरे स्थगन की घोषणा की। सदन दोपहर 12.33 बजे शून्यकाल के लिए फिर शुरू हुआ लेकिन भाजपा के नेताओं ने हंगामा जारी रखा।
भाजपा के अनंत ओझा राज्य में कम बारिश के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाये, जिसे अध्यक्ष ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह धारणा पर आधारित है।
भोजनावकाश के बाद दोपहर करीब दो बजे सदन की बैठक फिर से शुरू हुई और चार विधेयक चर्चा के लिए पेश किये गये। जैसे ही विधेयकों पर चर्चा शुरू हुई, विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया। विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति में विधेयक पारित किये गये।
इससे पहले दिन में, विपक्षी भाजपा और सत्तारूढ़ गठबंधन, दोनों ओर के विधायकों ने अलग-अलग कारणों से झारखंड विधानसभा के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया।
भाजपा विधायक राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे थे, वहीं झामुमो के सदस्यों ने केंद्र पर सूखा राहत पैकेज नहीं देने का आरोप लगाया।
भाजपा विधायक नीरा यादव ने कहा कि इस मॉनसून में कम बारिश के कारण किसानों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है और सरकार को झारखंड को सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिए।
सत्तापक्ष के प्रदर्शन में भाग लेते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड सरकार ने भी राज्य के सूखा प्रभावित 226 प्रखंडों के लिए केंद्र से 9,682 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग रखी है।
पत्रलेख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लेकिन केंद्र ने सूखा पैकेज के रूप में केवल 502 करोड़ रुपये की अनुमति दी है। हमें आपदा प्रबंधन के तहत उपलब्ध कराए गए कोष का उपयोग करने के लिए कहा गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय दलों ने पिछले साल झारखंड का दौरा किया और सूखे के प्रभाव का आकलन किया। दल के सदस्यों ने माना कि पिछले साल झारखंड में खेती की स्थिति अच्छी नहीं थी।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)