देश की खबरें | एमयूडीए घोटाले के खिलाफ भाजपा-जद(एस) का विरोध जारी, मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा

रामनगर (कर्नाटक), पांच अगस्त कर्नाटक में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) ने कथित मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) स्थल आवंटन घोटाले के खिलाफ सोमवार को तीसरे दिन भी बेंगलुरु से मैसुरु तक सात दिवसीय मार्च जारी रखा और कांग्रेस सरकार तथा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को घेरने का प्रयास किया।

विपक्ष का आरोप है कि एमयूडीए ने उन लोगों को मुआवजे के तौर पर भूखंड आवंटित करने में अनियमितता बरती, जिनकी जमीन का ‘‘अधिग्रहण’’ किया गया है। मुआवजे के तौर पर भूखंड प्राप्त करने वालों में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर शुरू की गई ‘मैसूर चलो’ पदयात्रा तीसरे दिन यहां केंगल से शुरू हुई जो 20 किलोमीटर की दूरी तय कर मंड्या जिले के निदाघट्टा पहुंचेगी।

केंगल से शुरू हुए मार्च में भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं विधायक बी वाई विजयेंद्र, विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक, जद (एस) के कई नेता समेत दोनों पार्टियों के विधायक, नेता तथा कार्यकर्ता शामिल हुए।

विजयेंद्र और अन्य भाजपा नेताओं ने मार्च से पहले पूर्व मुख्यमंत्री केंगल हनुमंतैया की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की।

भाजपा और जद(एस) के झंडे और बैनर लिए दोनों दलों के कार्यकर्ता और नेता ढोल-नगाड़ों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए मार्च करते देखे गए।

जिस मार्ग से मार्च गुजरा, उसके कई स्थानों पर दोनों पार्टियों के झंडे, पताका और प्रमुख नेताओं की तस्वीरें लगी हुई थीं।

शनिवार को बेंगलुरु के निकट केंगेरी से शुरू हुए इस मार्च के पहले दिन बिदादी तक 16 किलोमीटर की दूरी तय की गई और तथा दूसरे दिन केंगल तक 22 किलोमीटर की दूरी तय हुई।

भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि एमयूडीए घोटाला 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये तक का है।

आरोप है कि एमयूडीए ने पार्वती को उनकी तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की जमीन के बदले में 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। इस विवादास्पद योजना के तहत अधिग्रहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमि देने वाले को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित करने की परिकल्पना की गई है।

कांग्रेस सरकार ने 14 जुलाई को एमयूडीए घोटाले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एन देसाई की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था।

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