देश की खबरें | पक्षियों की मौत: बर्ड फ्लू मिलने के बाद राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान में पिछले दिनों सैंकड़ों पक्षियों की मृत्यु की जांच में बर्ड फ्लू के नमूने मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने इससे निपटने के लिए राज्य स्तरीय नियंत्रण स्थापित किया है।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

जयपुर, तीन जनवरी राजस्थान में पिछले दिनों सैंकड़ों पक्षियों की मृत्यु की जांच में बर्ड फ्लू के नमूने मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने इससे निपटने के लिए राज्य स्तरीय नियंत्रण स्थापित किया है।

रविवार को यहां के प्रतिष्ठित जल महल में सात कौवे मृत पाए थे। राज्य में मृत पक्षियों की संख्या 252 पहुंच गई है।

पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने संवाददाताओं को बताया कि मरने वाले पक्षियों में सबसे ज्यादा संख्या कौवों की है और अधिकांश मामले कोटा और जोधपुर संभाग से सामने आये हैं। इससे निपटने के लिए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

मीणा ने बताया, ‘‘वायरस खतरनाक है और आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए है। सभी क्षेत्राधिकारियों और पोल्ट्री फार्म मालिकों को सतर्क रहने को कहा गया है। सभी स्थलों, विशेष रूप से तराई वाले क्षेत्रों, सांभर झील और कैला देवी पक्षी अभयारण्य में प्रभावी निगरानी सुनिश्चित की गई है।’’

उन्होंने बताया कि 25 दिसम्बर को झालावाड़ में कौवे की मौत की सूचना मिली थी और नमूनों को जांच के लिये भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भेजा गया था जिसके परिणामों ने बर्ड फ्लू की पुष्टि की थी।

अब तक झालावाड़ में 100, बांरा में 72, कोटा में 47, पाली में 19, जोधपुर में 7 और जयपुर में 7 कौवों के मरने की सूचना है।

विभाग की सचिव आरूषी मलिक ने कहा कि केन्द्र के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सभी जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।

विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ भवानी राठौड़ ने बताया, ‘‘स्थिति चिंताजनक नहीं है लेकिन हम यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि वायरस अन्य घरेलू जानवरों में प्रवेश नहीं करे।’’ उन्होंने बताया कि 75 नमूनों को विभिन्न स्थानों पर जांच के लिये भेजा गया है।

मुख्य वन्यजीवन संरक्षक, एम एल मीणा ने कहा कि विभाग ने अलर्ट जारी किया है और फील्ड स्टाफ को अधिक सतर्क रहने को कहा है। एवियन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि केवल झालावाड में की गई है लेकिन विस्तृत विश्लेषण का निर्देश दिया गया है।

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