कोच्चि, 13 अप्रैल : केरल उच्च न्यायालय (High Court of Kerala) ने कहा है कि यदि कोई फिल्म किसी घोषित अपराधी के जीवन से प्रेरित है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह उस व्यक्ति की जिंदगी की कहानी को पूरी तरह से चित्रित कर रही है और उसका प्रसारण या प्रकाशन उसके निजता के अधिकार को प्रभावित करेगा. मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तमन की पीठ ने मलयालम फिल्म ‘कुरुप’ की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध कर रही याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया. इस फिल्म में दुलकर सलमान ने अभिनय किया है. याचिका में इस आधार पर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था कि यह हत्या के एक मामले में आरोपी और 1984 से फरार सुकुमार कुरुप के निजता के अधिकार को प्रभावित करेगी.
यह जनहित याचिका 2021 में फिल्म की रिलीज से तीन दिन पहले एक वकील ने दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कुरुप जैसे घोषित अपराधियों के निजता के अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया था. पीठ ने कहा, ‘‘सार्वजनिक अभिलेखों और सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध निर्णयों तक हर व्यक्ति की पहुंच है.’’ उसने कहा, ‘‘यह अदालत पांचवें प्रतिवादी (फिल्म निर्माताओं में से एक) की इस दलील से सहमत है कि कहानी के एक घोषित अपराधी के जीवन से प्रेरित होने का यह मतलब नहीं है कि कहानी पूरी तरह से उस व्यक्ति के जीवन पर आधारित है और इस कहानी का प्रसारण या प्रकाशन उस विशेष व्यक्ति के निजता के अधिकार को प्रभावित करेगा.’’ यह भी पढ़ें : Madhya Pradesh: बागेश्वर धाम प्रमुख से मिले सीएम शिवराज सिंह चौहान, भजन गाकर श्रद्धालुओं को किया मंत्रमुग्ध (Watch Video)
अदालत ने कहा कि इस विशेष मामले में कुरुप संबंधी जानकारी सार्वजनिक रिकॉर्ड में है और हर किसी की इस तक पहुंच है. उसने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म को दिखाने के लिए प्रमाण पत्र जारी कर दिया था. अदालत के मुताबिक, प्रमाण पत्र जारी किए जाने का मतलब प्रथम दृष्टया यह मानना है कि प्राधिकारियों ने फिल्म के संबंध में सभी पहलुओं को ध्यान में रखा है और यह सार्वजनिक रूप से दिखाए जाने के लिहाज से उपयुक्त है. अदालत ने कहा कि फिल्म पहले ही 12 नवंबर, 2021 को रिलीज हो चुकी है और इसलिए, याचिका में जिस राहत का अनुरोध किया गया है, वह अब ‘‘निरर्थक’’ है.