विदेश की खबरें | राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू नेता को जमानत देने से बांग्लादेश की अदालत का इनकार

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ढाका, 26 नवंबर बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार को प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया जिन्हें कथित राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।

ढाका और चटगांव में हिंदू समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शनों के बीच ब्रह्मचारी को जेल भेज दिया गया।

बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू संगठन ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका में हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया था, जब वह चटगांव जा रहे थे। उन्हें चटगांव लाया गया।

दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक नेता की शिकायत पर चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान शहर के लालदीघी मैदान में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।

चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत ने दास की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि दास को शहर के बाहर से गिरफ्तार किया गया है, तो कानून के अनुसार उन्हें 24 घंटे न्यायिक हिरासत में रखा जाना आवश्यक है।

इसके बाद अदालत ने दास को जेल ले जाने का आदेश दिया और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिंदू धर्मगुरु को जेल संहिता के अनुसार उनके धार्मिक रीतिरिवाज का अनुसरण करने की अनुमति दी जाए।

अधिकारियों ने कहा कि दास को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत ले जाया गया, जहां वकीलों सहित उनके कई समर्थक उनकी गिरफ्तारी के विरोध में नारे लगा रहे थे।

चश्मदीदों के अनुसार अदालत परिसर में जमा समर्थकों का दास ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। दास के समर्थक नारे लगा रहे थे। दास ने उनसे धार्मिक नारे नहीं लगाने की अपील की।

स्थानीय शासन मामलों के सलाहकार और भेदभाव-रोधी छात्र आंदोलन के नेता आसिफ महमूद ने कहा कि दास को किसी समुदाय के नेता के तौर पर गिरफ्तार नहीं किया गया है, बल्कि राजद्रोह के लिए गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने उत्तर पश्चिम रंगपुर शहर में एक जनसभा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर कोई राजद्रोह जैसी किसी घटना में संलिप्त है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।’’

महमूद ने कहा, ‘‘यदि बांग्लादेश की संप्रभुता और आजादी खतरे में पड़ते हैं या देश की अवमानना या अपमान होता है तो सरकार निश्चित रूप से कदम उठाएगी।’’

दास की गिरफ्तारी के बाद हिंदुओं ने ढाका और चटगांव में सड़कों पर रैलियां निकालीं।

सोमवार को चटगांव में चेरागी पहाड़ चौराहे पर हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर दास की तत्काल रिहाई की मांग की। इसी तरह ढाका में हिंदू समुदाय के लोगों ने गिरफ्तारी का विरोध करते हुए शाहबाग चौराहे को जाम कर दिया।

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने भी दास की गिरफ्तारी का विरोध किया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

दास इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के सदस्य भी थे, जिसने हाल ही में उन्हें निष्कासित कर दिया था।

बांग्लादेश में इस्कॉन के अधिकारियों की इस पर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

इस बीच, भारत ने मंगलवार को दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत देने से इनकार करने पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की और बांग्लादेशी अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है।’’

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