देश की खबरें | बदलापुर यौन उत्पीड़न मामला: अदालत ने दो आरोपी न्यासियों को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड के मामले में उस स्कूल के चेयरमैन और सचिव को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया जहां एक पुरुष कर्मचारी ने दो नाबालिग बच्चियों का कथित रूप से यौन शोषण किया था।

मुंबई, एक अक्टूबर बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड के मामले में उस स्कूल के चेयरमैन और सचिव को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया जहां एक पुरुष कर्मचारी ने दो नाबालिग बच्चियों का कथित रूप से यौन शोषण किया था।

न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की एकल पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह साबित करने के लिए सामग्री है कि दोनों आरोपियों को 16 अगस्त से पहले कथित घटना की जानकारी थी लेकिन उन्होंने इस बारे में पुलिस या स्थानीय अधिकारियों को जानकारी देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

न्यायमूर्ति लड्ढा ने कहा कि अपराध गंभीर है और अदालत को नाबालिग बच्चियों की हालत पर विचार करना होगा।

अदालत ने कहा, ‘‘पीड़ित नाबालिग हैं। उन्होंने जो आघात सहा है, उसका उनकी किशोरावस्था पर बहुत गहरा असर हो सकता है और उन पर लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है।’’

अदालत ने कहा कि यह बात निर्विवाद है कि आवेदक स्कूल प्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोग हैं।

उसने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया साक्ष्यों से पता चलता है कि पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने कक्षा शिक्षक और अन्य स्टाफ सदस्यों से शिकायत की थी। आवेदकों को 16 अगस्त से पहले घटना की जानकारी थी। जानकारी होने के बावजूद उन्होंने पुलिस को घटना की सूचना नहीं दी।’’

पीठ ने कहा कि मामला दर्ज करने में देरी की प्रमुख वजह आवेदकों की लापरवाही है जिसकी वजह उन्हें ही पता हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर उन लोगों को अपराध की जानकारी थी तो उन पर इसके बारे में जानकारी देने का कानूनी उत्तरदायित्व था।

अदालत ने कहा कि घटना वाले दिन से स्कूल परिसर के सीसीटीवी फुटेज गायब हैं।

दोनों आरोपियों ने उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन किया था। इससे पहले एक सत्र अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

उन्होंने दावा किया कि उन्हें कथित अपराध की जानकारी नहीं थी और इसलिए उन्हें इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

दोनों ने दावा किया कि प्राथमिकी दर्ज करने में अकारण देरी हुई।

उन्होंने इस बात पर भी संदेह जताया कि क्या यह घटना हुई भी थी। उन्होंने दावा किया कि दोनों पीड़ित बच्चियां 15 अगस्त को स्कूल में ध्वजारोहण समारोह में शामिल हुई थीं और तब कोई शिकायत नहीं की गई थी।

सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि घटना की सूचना मिलने के बाद आरोपियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की।

दोनों आरोपियों पर घटना की सूचना तुरंत पुलिस को नहीं देने और लापरवाही बरतने के लिए पॉक्सो अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस के अनुसार, अगस्त में एक पुरुष कर्मी द्वारा स्कूल के शौचालय के अंदर चार और पांच साल की दो लड़कियों का कथित तौर पर यौन शोषण किया गया था।

मामले की जांच बदलापुर पुलिस कर रही थी। लेकिन पुलिस जांच में गंभीर खामियों को लेकर लोगों के आक्रोश के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।

आरोपी पुरुष कर्मचारी अक्षय शिंदे को कथित घटना बाद गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन 23 सितंबर को पुलिस की गोलीबारी में वह मारा गया।

पुलिस के अनुसार, स्कूल के चेयरमैन और सचिव को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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