महाकुम्भ नगर, एक जनवरी प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र 13 अखाड़ों का प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया और इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से निकाली जिसमें परंपरा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला।
अटल अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली गई। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।
अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों को देखने के लिए स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती ने कहा कि छावनी में 20 से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल रहे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए सड़कों के दोनों ओर लोग खड़े दिखे।
अटल अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे-धजे भाले भी थे जिन्हें अखाड़ों के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। इसमें ‘‘सूर्य प्रकाश’’ नाम का वह भाला विशेष रूप से शामिल था जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।
पांच किलोमीटर का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुम्भ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
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