ताजा खबरें | क्या भगत सिंह की ओर से फेंके गए पर्चे मालखाने में हैं: कांग्रेस सांसद ने सरकार से पूछा

नयी दिल्ली, 17 मार्च कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ में फेंके गए लाल पर्चों (रेड पैन्फलेट) का उल्लेख करते हुए सोमवार को सरकार से अनुरोध किया कि ऐसी ऐतिहासिक वस्तुओं के बारे में वह गंभीरता से पता लगाए।

तिवारी ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा, ‘‘सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ में विरोध जताते समय कुछ पर्चे फेंके गए थे। उन पर्चों को ‘रेड पैम्फलेट’ कहते हैं। कुछ सार्वजनिक खबरों के अनुसार उन पर्चों की प्रतिलिपियां और उनका कुछ निजी सामान अब भी संसद मार्ग थाने के मालखाने में है।’’

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि अब सरकार की तरफ से कहा गया है कि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में किसी विरोधाभास में नहीं पड़ना चाहता। हो सकता है कि ये सामान और उसके साथ और भी ऐतिहासिक सामान उस मालखाने में पड़ा हो। मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह दोबारा से गंभीरता से इसका पता लगवा ले।’’

तिवारी के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मालखाने से कोई भी वस्तु प्राप्त करने के लिए सामान्य विधिक प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय के आदेश के तहत ही ऐसा किया जा सकता है।

उन्होंने अपने उत्तर में कहा कि ऐतिहासिक मूल्य की कोई भी संपदा मालखाने में पहुंचती है तो उसकी जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दी जाती है और एएसआई के महानिदेशक उसके संरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं।

शेखावत ने इस बाबत मालखाने में फिर से सामान का पता लगाने के तिवारी के सुझाव के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

संस्कृति मंत्री ने एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में सदन को बताया कि राष्ट्रीय पुरालेखों के डिजिटलीकरण के अभियान के तहत अब तक तीन करोड़ पन्नों को डिजिटल स्वरूप प्रदान किया जा चुका है और अकेले गत फरवरी में छह लाख 40 हजार से अधिक पन्ने डिजिटल किए गए।

उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम और इसमें भाग लेने वाले सभी सेनानायकों का विवरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आजादी का अमृत वर्ष के तहत संकलित किया गया है जिनमें से कुछ को या तो ‘‘जानबूझकर’’ या परिस्थितिवश भुला दिया गया।

उन्होंने कहा कि सरकार की न्यायिक दस्तावेजों को भी डिजिटल स्वरूप प्रदान करने की योजना है ताकि लोग अनुसंधान और अध्ययन कर सकें।

संस्कृति मंत्री के अनुसार देश में ज्ञान भारतम मिशन के तहत विभिन्न ऐतिहासिक पांडुलिपियों के संकल्प का प्रयास भी जारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये हमारी अमूल्य थाती हैं और हम इसे संरक्षित कर जनता के लिए संदर्भ के रूप में तैयार कर रहे हैं।’’

तिवारी ने प्रश्न किया था कि क्या 1901 से लेकर 1947 तक भारत की न्यायपालिका में दर्ज आरोपपत्रों और न्यायिक दस्तावेजों को संकलित कर स्वतंत्रता संग्राम में आम जनता की भूमिका को सामने लाने की सरकार की कोई योजना है?

उन्होंने यह भी कहा कि इसी अवधि में ऐसे अनेक दस्तावेज जिन पर तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंध लगाया था और जिनमें अधिकतर कांग्रेस के समय के थे, को 2017 में गोपनीयता की सूची से बाहर किया गया था और ये ब्रिटिश संग्रहालय में रखे हैं।

कांग्रेस सांसद ने पूरक प्रश्न में पूछा, ‘‘क्या सरकार को इसकी जानकारी है। क्या इनकी प्रतिलिपियां वापस लाने के लिए कोई पहल की जाएगी?’’

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