देश की खबरें | आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने एक बार फिर जन्मदर में गिरावट पर चिंता जताई

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कुप्पम (आंध्र प्रदेश), छह जनवरी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटती जन्मदर को लेकर सोमवार को चिंता जताते हुए कहा कि भारत को दक्षिण कोरिया तथा जापान जैसे अन्य देशों द्वारा की गई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए।

इन देशों में जन्मदर में भारी गिरावट आई है। नायडू ने कहा कि कल से ही घर-घर में जन्म दर और जनसंख्या प्रबंधन पर चर्चा होनी चाहिए।

नायडू ने यहां चित्तूर जिले में ‘कुप्पम विजन-2029’ दस्तावेज का अनावरण करते हुए कहा, ‘‘हमें अन्य देशों द्वारा की गईं गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए और सावधान रहने की जरूरत है। कुप्पम में भी जन्मदर 1.5 पर आ गई है। इसे दो से ऊपर होना चाहिए था। दक्षिण कोरिया में जन्मदर गिरकर 0.9 पर आ गई है, जबकि जापान इससे भी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है।’’

इस दस्तावेज का उद्देश्य निर्वाचन क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है और नायडू, कुप्पम क्षेत्र से विधायक हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य स्तर पर ‘स्वर्णआंध्र 2047’ के समान एक दृष्टिकोण ‘स्वर्ण कुप्पम’ की शुरूआत की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल कुछ दंपति बच्चों को जन्म देने से कतराने लगे हैं क्योंकि वे अपनी कमाई के पैसे का बंटवारा नहीं चाहते और इसे खुद की मौज-मस्ती पर खर्च करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपके माता-पिता ने भी ऐसा सोचा होता, तो क्या आप आज इस दुनिया में आते? इस मामले में सभी को स्पष्टता होनी चाहिए।’’ उन्होंने याद दिलाया कि एक समय में संतानहीनता को कलंक माना जाता था।

उन्होंने कहा कि विश्व एक सतत प्रक्रिया है और समाज को अनवरत चलते रहना चाहिए।

पिछले वर्ष अक्टूबर में नायडू ने कहा था कि आंध्र प्रदेश में जनसंख्या प्रबंधन की आवश्यकता है, क्योंकि यहां वृद्ध लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।

नायडू ने कहा था, ‘‘वर्ष 2047 तक हमारे पास युवा अधिक होंगे। 2047 के बाद वृद्ध अधिक होंगे... अगर प्रति महिला द्वारा दो से कम बच्चों को जन्म दिया जाएगा तो जनसंख्या कम हो जाएगी। अगर आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देंगी तो जनसंख्या बढ़ जाएगी।’’

‘पडु सुत्रलु’ (10 सिद्धांत) को शामिल करते हुए, कुप्पम विजन-2029 का लक्ष्य शून्य गरीबी को प्राप्त करना है। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन, जनसंख्या प्रबंधन, कौशल विकास, जल सुरक्षा प्राप्त करना, किसानों की आकांक्षाओं को पूरा करना आदि है।

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