एक चूहे की तलाश में महीनों से हैरान है अलास्का का एक द्वीप
समंदर में बसा एक द्वीप और द्वीप पर एक चूहा! क्या एक चूहा समूचे द्वीप को हलकान कर सकता है? अलास्का के एक द्वीप पर एक चूहे को खोजने के लिए अभियान चल रहा है.
समंदर में बसा एक द्वीप और द्वीप पर एक चूहा! क्या एक चूहा समूचे द्वीप को हलकान कर सकता है? अलास्का के एक द्वीप पर एक चूहे को खोजने के लिए अभियान चल रहा है.करीब 20 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला बेरिंग सागर, आर्कटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली कड़ी है. इसके पश्चिम में, अलास्का की मुख्यभूमि से करीब 482 किलोमीटर दूर 'प्रीबिलोफ' नाम का एक द्वीपसमूह है. अलास्का समुद्री वन्यजीव अभयारण्य में शामिल यह द्वीपसमूह प्रवासी पक्षियों की संपन्नता और जैव विविधता के लिए जाना जाता है. इसी द्वीपसमूह का एक हिस्सा है, सेंट पॉल आइलैंड जो फिलहाल एक चूहे की तलाश में परेशान है.
चूहा है कि नहीं है...
सेंट पॉल एक छोटा सा द्वीपीय शहर है, कुल क्षेत्रफल मात्र 114 वर्ग किलोमीटर. शहर की वेबसाइट के मुताबिक, यहां करीब 480 लोग रहते हैं. पिछले कुछ महीनों से इन लोगों को एक चूहे की तलाश है.
खबरों के मुताबिक, जून महीने में वन्यजीवन विभाग के अधिकारियों को शहरवासियों की ओर से एक रिपोर्ट भेजी गई कि उन्हें द्वीप पर एक चूहा दिखा है. अधिकारी जांच के लिए आए. जहां चूहे को कथित तौर पर देखा गया था, उस इमारत की तलाशी ली. आसपास का इलाका छाना. झाड़ियों में, घास में सब जगह देखा. उन्हें चूहा नहीं मिला.
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लॉस एंजेलिस टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने चूहे का मल, उसके कुतरने-चबाने के निशान सब खोजने की कोशिश की. पीनट बटर लगाकर चूहे को ललचाने वाली चूहेदानियां भी लगाईं. यहां तक कि रास्ते पर कैमरे भी लगाए गए, ताकि चूहे की मौजूदगी का कुछ तो पता चले. अब तक कोई सुराग नहीं मिला है. यह भी पुख्ता नहीं कि चूहा सच में है या किसी को चूहे का भ्रम हुआ.
एक चूहे के लिए इतना हल्ला क्यों?
सेंट पॉल आइलैंड पर चूहा सच में हो या ना हो, क्या एक चूहे या फिर कुछ चूहों का यहां होना इतनी बड़ी बात है कि इतना परेशान हुआ जाए! इसे अलास्का के ही एक द्वीप के उदाहरण से बेहतर समझ सकते हैं.
अलास्का के द्वीपों को "अलूशन आइलैंड्स" कहते हैं. यह अलास्का के टुंड्रा क्षेत्र में द्वीपों की एक शृंखला है, जिसमें 14 बड़े द्वीप और 55 छोटे द्वीप हैं. इनमें से एक द्वीप ऐसा भी है, जिसे पहले "रैट आइलैंड" कहा जाता था. वाइल्डलाइफ सोसायटी के एक लेख के मुताबिक, 1780 के दशक में जापान के एक दुघर्टनाग्रस्त जहाज से निकले कुछ चूहे इस द्वीप पर पहुंचे.
उनकी संख्या इतनी बढ़ी कि साल 2000 आते-आते समूचे द्वीप और इसके ईकोसिस्टम पर घुसपैठिया चूहों का कब्जा हो गया. बाकी द्वीपों की तरह यह भी प्रवासी चिड़ियों का ठिकाना था. चूहे उन्हें खा लेते थे, खासतौर पर समुद्रतट जैसे निचले इलाकों में पाए जाने वाले पक्षी उनका शिकार बनते थे. पक्षियों की संख्या कम हुई, तो आहार शृंखला में उठापटक हुई. वे पक्षी जिन कीड़ों को खाते थे, उनकी संख्या अबाध बढ़ने लगी.
ये कीड़े शैवालों और बाकी वनस्पतियों को खत्म करने लगे. ईकोसिस्टम ही असंतुलित हो गया. अनमोल जैव विविधता को हो रहे गंभीर नुकसान को देखते हुए अमेरिका के मछली और वन्यजीव विभाग ने यहां चूहों को खत्म करने का अभियान शुरू किया. इसमें कई पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण एजेंसियों की भी मदद ली गई.
बहुत सोच-समझकर खास पतझड़ के मौसम को चुना गया. इस मौसम में प्रवासी पक्षियों की आमद घटने लगती है. इसके कारण चूहों के लिए खाने की सहज उपलब्धता भी कम होती थी. ऐसे में किसी जाल में फंसने की संभावना ज्यादा थी. चूहों को लुभाने के लिए हेलिकॉप्टर से खाने की जहरीली चीजें द्वीप पर गिराई गईं. अभियान सफल रहा और दो साल के भीतर द्वीप को चूहों से आजाद करा लिया गया.
कई द्वीप हैं चूहों की चपेट में
दुनिया के कई बड़े शहर चूहों से त्रस्त हैं. पिछले साल पेरिस के चूहे सुर्खियों में रहे थे. लंदन के बारे में भी ऐसी खबरें आती रही हैं. न्यूयॉर्क ने पिछले साल चूहों के खिलाफ जंग छेड़ी थी. जमीन तो जमीन, समुद्र के कई सुदूर द्वीप भी चूहों से त्रस्त हैं. जैसे कि, प्रशांत महासागर में टेटीअरोआ नाम का एक प्रवालद्वीप (एटॉल). प्रवालद्वीप, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, कोरल से बने होते हैं और अंगूठी के आकार के होते हैं. साल 2021 में आई वायर्ड की एक रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे यह द्वीप चूहों की विशाल आबादी से जूझ रहा था. 'आइलैंड कंजरवेशन' नाम के एक संरक्षण समूह ने यहां चूहों से निपटने के लिए ड्रोंस की मदद ली.
इसी तरह इक्वाडोर के 'गलापगोस द्वीपसमूह' में बसे उत्तरी सेमोर द्वीप पर चूहों के कारण "स्वॉलो-टेल्ड गल" नाम की समुद्री चिड़िया के अस्तित्व पर बन आई थी. चूहों को खत्म करने के लिए साल 2019 में यहां भी ड्रोन तकनीक की मदद ली गई. ड्रोनों से खास तरह का चूहे मारने वाला जहर छिड़का गया. इसमें बहुत एहतियात बरता गया, ताकि बाकी प्रजातियों को कम-से-कम नुकसान हो. ये कोशिश कामयाब हुई और 2021 में द्वीप को 100 फीसदी चूहों से मुक्त घोषित किया गया.
जुलाई 2018 में नेचर पत्रिका में छपे एक लेख में हिंद महासागर के चागोस द्वीपसमूह से जुड़े एक प्रयोग की जानकारी दी गई. यह भी प्रवालद्वीपों से बना समूह है. प्रयोग के क्रम में द्वीपसमूह के कुछ द्वीपों पर चूहों को धावा बोलने दिया गया और कुछ द्वीप चूहों से मुक्त रखे गए. पाया गया कि जिन द्वीपों पर चूहे नहीं थे, वहां नजदीकी मूंगा चट्टानों में पोषण का स्तर ज्यादा था. आसपास समुद्री पक्षियों की आबादी भी ज्यादा थी.
चूहे खत्म करने का बड़ा अभियान
द्वीपों के स्थानीय जीव अगर चूहे जैसे घुसपैठियों से अपरिचित रहे हों, तो उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है. कुदरती विकास क्रम में उनके पास चूहों से निपटने की सहज रणनीति नहीं होती. पृथ्वी की जैव विविधता में द्वीपों की अहम भूमिका है. दुनिया में करीब 465,000 द्वीप हैं, जो कि पृथ्वी के भूभाग का केवल 5.3 प्रतिशत हिस्सा हैं. 'साइंस' पत्रिका के मुताबिक पक्षियों, स्तनधारी जीवों, सरीसृपों और उभयचर जीवों के विलुप्त होने के मामलों में अनुमानित 75 फीसदी हिस्सा द्वीपीय जीवों का है.
अनुमान से दस साल पहले खत्म हो जाएगी आर्कटिक की बर्फ
साइंस की ही एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, द्वीपीय चूहों को खत्म करने के लिए दुनियाभर में एक बड़ा अभियान चल रहा है. इस लेख के मुताबिक, पिछली आधी सदी में करीब 666 द्वीपों पर चूहों को खत्म करने की 820 से ज्यादा कोशिशें हुई हैं. इनमें लगभग 88 फीसदी अभियान सफल रहे हैं. इन कामयाबियों के कारण कई समुद्री पक्षियों की संख्या सुधरी है और एक समय में खत्म होते जा रहे कई द्वीपीय जीवों का अस्तित्व बहाल हुआ है.
चूहों से छुटकारा पाना आसान नहीं
द्वीपीय पर्यावरण और जैव विविधता जैसे विषयों पर काम करने वाला एक संगठन है, आइलैंड कंजरवेशन. इसके मुताबिक, चूहों से छुटकारा पाने के ज्यादातर अभियानों में तीन प्रजातियां शामिल हैं. ये प्रजातियां हैं: रैटस रैटस (ब्लैक), रैटस नॉर्वेजिगस (ब्राउन या नॉर्वे) और रैटल एक्सुलंस (पैसिफिक). अक्सर ये समुद्री जहाजों के रास्ते द्वीप पर पहुंचते हैं और देखते-ही-देखते विस्फोटक रूप से बढ़ जाते हैं.
अलास्का में कई निर्जन, लेकिन कुदरती दौलत में बेहद संपन्न द्वीप इन घुसपैठिया चूहों के आतंक का शिकार हैं. लॉस एंजेलिस टाइम्स ने सरकारी एजेंसी के हवाले से बताया है कि कैसे अलास्काई द्वीपों पर जहां घुसपैठिया चूहों का दबदबा है, वहां ब्रीडिंग के लिए आने वाले पक्षियों की संख्या और विविधता कम है. कुछ द्वीपों पर समंदर किनारे की गीली रेत पर चूहों के पांवों के निशान मिले. यहां उनके बिलों में ऑकलेट जैसे समुद्री पक्षियों के कंकाल भी पाए गए. ये पक्षी खास बेरिंग सागर और उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में प्रजनन करते हैं.
बर्फ घटने से ध्रुवीय भालुओं के सामने भोजन का संकट
अलास्का दुनिया के उन हिस्सों में है, जहां जलवायु परिवर्तन का असर बहुत गाढ़ा है. जीवों का भोजन और आवास सिमटता जा रहा है. इसके कारण उनका प्रजनन चक्र भी प्रभावित हो रहा है. पहले से ही जलवायु की मार झेल रहे इन संवेदनशील जीवों के लिए घुसपैठिया चूहे अतिरिक्त खतरा बन गए हैं.
एक बार चूहों ने घर कर लिया, तो इन्हें खत्म करना आसान नहीं होता. ऐसे अभियानों में काफी लागत आती है. लंबा समय लग सकता है. बल्कि, अभियान की रूपरेखा बनाने में ही काफी समय लग जाता है. इसके साथ जोखिम भी जुड़े होते हैं, मसलन जहर के छिड़काव से किसी और जीव को नुकसान पहुंचने की आशंका. यह भी जरूरी नहीं कि कोशिश सफल ही हो. कई बार तो चूहे फिर लौट आते हैं. साइंस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, 135 ऐसे मामले देखे गए हैं जिनमें उन्मूलन अभियान के बाद चूहे लौट आए. शायद इसीलिए हर एक चूहा मायने रखता है, सेंट पॉल द्वीप की तरह.