नयी दिल्ली, 22 नवंबर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा है कि उत्तर भारत में सर्दी के दौरान होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय के तौर पर “क्लाउड सीडिंग” यानी कृत्रिम तरीके से बारिश कराने की व्यवहार्यता सीमित होगी क्योंकि इस प्रक्रिया में अपर्याप्त नमी और पहले से मौजूद बादलों पर निर्भर होना पड़ेगा। सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में यह जानकारी मिली है।
सीपीसीबी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के क्लाउड सीडिंग प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। क्लाउड सीडिंग का उद्देश्य कृत्रिम वर्षा के माध्यम से दिल्ली के गंभीर वायु प्रदूषण से निपटना है।
यह जानकारी 24 अक्टूबर को कार्यकर्ता अमित गुप्ता के आरटीआई आवेदन के जवाब में साझा की गई है। सीपीसीबी के अनुसार, हवा में अपर्याप्त नमी और पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित पहले से मौजूद बादलों पर निर्भरता के कारण क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश आती हैं।
आईआईटी कानपुर के अनुसार, सफल क्लाउड सीडिंग के लिए अनिवार्य आवश्यकता पर्याप्त नमी वाले उपयुक्त बादलों (50 प्रतिशत या उससे अधिक नमी वाले बादल) की उपलब्धता है।
सीपीसीबी ने जवाब में कहा, "उत्तर भारत में, सर्दी में बादल अक्सर पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित होते हैं, और हवा में नमी की मात्रा कम रहती है, जिससे क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया के सफलतापूर्वक संपन्न होने की संभावना सीमित हो जाती है।"
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय के तौर पर क्लाउड सीडिंग कराने की दिल्ली सरकार की मांग के बीच बोर्ड ने यह जानकारी दी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को कथित तौर पर चार बार पत्र लिखकर केंद्र सरकार से संभावित समाधान के रूप में ‘क्लाउड सीडिंग’ पर विचार करने और इस मामले पर एक बैठक बुलाने का आग्रह किया है।
इस बीच, सीपीसीबी ने कहा कि प्रस्तावित प्रयोग का अनुमानित खर्च लगभग तीन करोड़ रुपये होगा। प्रस्ताव में न्यूनतम 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पांच बार क्लाउड सीडिंग के प्रयास की बात कही गई है। प्रस्ताव के तहत आईआईटी कानपुर के डॉ. मनिंद्र अग्रवाल और उनकी टीम ने आठ नवंबर, 2023 को दिल्ली सरकार के समक्ष एक प्रस्तुति दी थी।
प्रस्तुति में प्रक्रिया के दौरान रक्षा, गृह और पर्यावरण समेत 12 प्रमुख एजेंसियों की भागीदारी को रेखांकित किया गया था।
आईआईटी कानपुर ने 2017 में गर्मियों के दौरान क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए थे, जिसमें कथित तौर पर सात में से छह प्रयासों में सफलतापूर्वक बारिश कराई गई थी।
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