विदेश की खबरें | ‘अमेरिकी बुरा न माने, भारत को आपके आंतरिक मामलों पर टिप्पणी का अधिकार’: जयशंकर
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को अमेरिकियों से कहा कि जब भारत अपने आंतरिक मामलों पर उनकी टिप्पणियों प्रतिक्रिया व्यक्त करता है तो उन्हें ‘‘बुरा नहीं मानना चाहिए।’’
वाशिंगटन, एक अक्टूबर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को अमेरिकियों से कहा कि जब भारत अपने आंतरिक मामलों पर उनकी टिप्पणियों प्रतिक्रिया व्यक्त करता है तो उन्हें ‘‘बुरा नहीं मानना चाहिए।’’
जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें ‘‘तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।’’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। इसलिए, यह एक कठिन क्षेत्र है और मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है, आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए।’’
विदेशमंत्री ने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत दुनिया के उन अग्रणी देशों में से हैं जहां लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। यहां अमेरिका में हमारे लोकतंत्र में कई मुद्दों पर बहस होती है, लेकिन कई बार अमेरिका के नेता भारत के लोकतंत्र के बारे में टिप्पणी करते हैं।’
उन्होंने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे।
जयशंकर ने टिप्पणी की, ‘‘अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं... और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।’’
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