देश की खबरें | अदाणी पर ओडिशा सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप ‘झूठा’ : बीजद

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. ओडिशा में वर्ष 2000 से जून 2024 तक सत्ता में रहे बीजू जनता दल (बीजद) ने शुक्रवार को कहा कि ये ‘‘आरोप झूठे और बेबुनियाद’’ हैं कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने केंद्रीय पूल से राज्य को अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए अदाणी समूह से रिश्वत ली।

भुवनेश्वर, 22 नवंबर ओडिशा में वर्ष 2000 से जून 2024 तक सत्ता में रहे बीजू जनता दल (बीजद) ने शुक्रवार को कहा कि ये ‘‘आरोप झूठे और बेबुनियाद’’ हैं कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने केंद्रीय पूल से राज्य को अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए अदाणी समूह से रिश्वत ली।

पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टी ने यह भी दावा किया कि ओडिशा का मामला अन्य राज्यों से अलग है, क्योंकि बीजद नीत पूर्ववर्ती सरकार ने बिजली वितरण का निजीकरण कर दिया। पार्टी ने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किए गए समझौतों से प्रशासन का कोई सीधा संबंध नहीं है।

राज्य में, मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार में कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि सरकार कथित रिश्वत मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगी।

अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अदाणी तथा उनके भतीजे सागर अदाणी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक लाभ होने की उम्मीद है।

हालांकि, अदाणी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप ‘निराधार’ हैं और समूह ‘सभी कानूनों का अनुपालन करता है।’

ओडिशा के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजद विधायक पी के देब ने कहा, ‘‘ये आरोप निराधार हैं और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।’’

बीजद ने एक बयान में कहा कि 2021 में जो भी बिजली खरीद समझौता (पीपीए) हुआ, वह नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार के उपक्रम एसईसीआई और नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए राज्य के उपक्रम ग्रिडको के बीच हुआ।

पार्टी ने यह भी कहा कि यह समझौता केंद्र सरकार की विनिर्माण से जुड़ी सौर योजना के अनुसार किया गया।

देब ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘यह समझौता दो सरकारी एजेंसियों ग्रिडको और एसईसीआई (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के बीच सीमित था। इन सभी मामलों में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है, हालांकि प्रशासन को पीपीए के बारे में सूचित किया गया था।’’

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