देश की खबरें | दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर 'अति गंभीर' श्रेणी में पहुंची, कड़े प्रतिबंध लागू

नयी दिल्ली, पांच नवंबर दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के 'अति गंभीर' श्रेणी में पहुंचने के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रक तथा चार पहिया वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया।

दिल्ली-एनसीआर में लगातार छठे दिन जहरीली धुंध छाई रही, जिससे दृश्यता का स्तर कम हो गया और सांस की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए परेशानियां बढ़ गईं।

दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई अपराह्न चार बजे 454 दर्ज किया गया।

इसके परिणामस्वरूप शहर में क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे व अंतिम चरण के तहत प्रतिबंध लागू किए गए, जिसके तहत अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-छह मानकों का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इससे छूट मिलेगी।

दिल्ली में मौसम की प्रतिकूल स्थितियों और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के बीच शहर में प्रति वर्ष सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की समस्या काफी बढ़ जाती है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के मुताबिक, रविवार को उत्तर भारत से पराली जलाने की कुल 4,160 घटनाएं सामने आईं, जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं।

वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।

गाजियाबाद में एक्यूआई 494 दर्ज किया गया, जबकि गुरुग्राम में यह 402, नोएडा में 414, ग्रेटर नोएडा में 410 और फरीदाबाद में 450 रहा।

एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 450 के बीच 'गंभीर' माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे 'अति गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।

दिल्ली-एनसीआर में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-2.5 की सांद्रता कई जगहों पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात-आठ गुना अधिक दर्ज की गई है। ये सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से शरीर के भीतर तक प्रवेश करने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने में सक्षम हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा के मुकाबले दिल्ली में पीएम 2.5 की सांद्रता 80 से 100 गुना दर्ज की गई है।

बीते सप्ताह से दिल्ली-एनसीआर में तापमान में धीरे-धीरे गिरावट होने, प्रदूषण में सहायक शांत हवा की उपस्थिति और पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है।

क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे व अंतिम चरण के तहत अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-छह मानकों का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिलेगी।

दिल्ली सरकार ने छोटे बच्चों को प्रदूषण से बचाने के प्रयास के तहत सभी प्राथमिक विद्यालयों को 10 नवंबर तक बंद करने की भी घोषणा की है।

इस बीच, दिल्ली अग्निशमन सेवा ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई स्थानों पर पानी का छिड़काव करने के लिए दमकल की 12 गाड़ियों को लगाया है।

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