नयी दिल्ली, 19 जुलाई लाल सागर संकट, माल ढुलाई में वृद्धि और कंटेनरों की कमी जैसे मुद्दों के कारण इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान देश के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात तीन प्रतिशत घटकर 5.88 अरब डॉलर रहा।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
अमेरिका ने एक अगस्त से चीन से आयात पर उच्च शुल्क लगाया। इसके कारण, अमेरिका में आयातकों द्वारा उस समय सीमा से पहले और चीन से अधिक आयात करने का प्रयास किया गया है। इससे दोनों देशों के बीच अधिक माल यातायात हुआ है जिससे कंटेनरों की कमी हुई है।
पहली तिमाही के दौरान चावल, कुछ अनाज, काजू और तिलहन के निर्यात में गिरावट आई है।
इस दौरान चावल का निर्यात मामूली रूप से घटकर 2.8 अरब डॉलर रह गया, जबकि काजू का निर्यात 17 प्रतिशत घटकर छह करोड़ 86.3 लाख डॉलर का रहा।
हालांकि, फल और सब्जियों, कुछ प्रसंस्कृत वस्तुओं और मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
आंकड़ों के अनुसार, गैर-बासमती चावल, गेहूं और ‘मिल्ड’ उत्पादों सहित विनियमित वस्तुओं का निर्यात इस वित्त वर्ष के अप्रैल-मई के दौरान मामूली 0.49 प्रतिशत घटकर 4.33 अरब डॉलर का रहा।
इस वित्तवर्ष के पहले दो महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात 13 प्रतिशत बढ़कर 1.03 अरब डॉलर का हो गया। हालांकि, गैर-बासमती चावल का निर्यात 13 प्रतिशत घटकर 91 करोड़ 88.3 लाख डॉलर का रहा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)