देश की खबरें | जमानत याचिका खारिज होने के बाद आदेश की समीक्षा के लिए न्यायालय पहुंचे सिसोदिया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उच्चतम न्यायालय के जमानत से इनकार वाले आदेश की समीक्षा के लिए शीर्ष न्यायालय का रुख किया है।

नयी दिल्ली, 29 नवंबर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उच्चतम न्यायालय के जमानत से इनकार वाले आदेश की समीक्षा के लिए शीर्ष न्यायालय का रुख किया है।

शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि शराब के थोक ‘डीलर’ को 338 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने के आरोप का साक्ष्य अस्थायी रूप से समर्थन करता है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने कहा था, "हालांकि, पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत दायर शिकायत में एक स्पष्ट आधार या आरोप है, जो प्रत्यक्ष कानूनी चुनौती से मुक्त है, और कथित आरोप सबूतों द्वारा अस्थायी रूप से समर्थित हैं।"

इसने सीबीआई के आरोपपत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि थोक वितरकों द्वारा अर्जित 7 प्रतिशत कमीशन/फीस के रूप में 338 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत परिभाषित अपराध है, जो एक लोक सेवक को रिश्वत दिये जाने से संबंधित है।

पीठ ने कहा कि ईडी की शिकायत के अनुसार, 338 करोड़ रुपये की रकम अपराध से हासिल की गई आय है।

अदालत ने यह भी कहा था, ‘‘यह राशि थोक वितरकों द्वारा दस महीनों की अवधि में अर्जित की गई थी। इस आंकड़े पर विवाद या चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस प्रकार नई आबकारी नीति का उद्देश्य कुछ चुनिंदा थोक वितरकों को अप्रत्याशित लाभ देना था, जो बदले में रिश्वत देने के लिए सहमत हुए थे।

पीठ ने सीबीआई(केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के आरोप-पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अपीलकर्ता मनीष सिसोदिया की साजिश और संलिप्तता पूरी तरह से स्थापित हो चुका है।’’

सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को इस घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिये 20 फरवरी को गिरफ्तार किया था ।

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को यह नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, नयी नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\