देश की खबरें | ओलंपिक स्वर्ण पदक के बाद नीरज की निगाहें विश्व चैंपियनशिप के खिताब पर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल 2018 में खिताब जीतने के बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अब अगले वर्ष अमेरिका में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।

नयी दिल्ली, 10 अगस्त राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल 2018 में खिताब जीतने के बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अब अगले वर्ष अमेरिका में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।

विश्व चैंपियनशिप अमेरिका के इयुगेन में इस वर्ष होनी थी लेकिन कोविड-19 के कारण तोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिये स्थगित किये जाने के बाद इसे 2022 में आयोजित करने का फैसला किया गया। अब इसका आयोजन 15 से 24 जुलाई 2022 के बीच होगा।

चोपड़ा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में पहले ही स्वर्ण पदक जीत चुका हूं और अब मेरे पास ओलंपिक का स्वर्ण पदक भी है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य अगले वर्ष विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। ’’

चोपड़ा ने सोमवार को तोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप बड़ी प्रतियोगिता है और कभी कभी यह ओलंपिक से भी कड़ी होती है। मैं इस ओलंपिक स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं होने वाला हूं। मैं इससे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहूंगा तथा एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और ओलंपिक में फिर से स्वर्ण पदक जीतना चाहूंगा। ’’

इस 23 वर्षीय सुपरस्टार को इसके अलावा लगता है कि राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) का उन्हें राष्ट्रीय शिविर में शामिल करना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट था।

राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से पहले चोपड़ा पंचकुला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छा अभ्यास कर रहे थे लेकिन सुविधाएं, उपकरण, आहार वहां (पंचकुला) अच्छे नहीं थे लेकिन एक बार जब मैं राष्ट्रीय शिविर (एनआईएस पटियाला) से जुड़ा तो सब कुछ बदल गया। ’’

चोपड़ा ने कहा, ‘‘मुझे बेहतर सुविधाएं, बेहतर आहार और बेहतर उपकरण राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने के बाद ही मिले। सबसे महत्वपूर्ण यह अहसास था कि मैं देश के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ अभ्यास कर रहा था। यह अलग तरह का अहसास था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से मेरा करियर बदला और मैं इसके लिये एएफआई का आभार व्यक्त करता हूं। मैंने जो चाहा वह मुझे मिला। मैंने कड़ी मेहनत की जिसकी बदौलत आज मैं यहां हूं। ’’

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