देश की खबरें | कोविड-19 रोधी टीकों की 100 करोड़ खुराक के बाद देश नए उत्साह, नयी ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है: मोदी
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नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अपने नागरिकों को कोविड-19 रोधी टीकों की 100 करोड़ खुराक देना भारत के सामर्थ्य और ‘सबके प्रयास’ के मंत्र की शक्ति को दर्शाता है और इस उपलब्धि के बाद देश नए उत्साह और नयी ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ की 82वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता को लेकर वह आश्वस्त थे क्योंकि वह देशवासियों की क्षमताओं से भलीभांति परिचित हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता, भारत के सामर्थ्य को दिखाती है, सबके प्रयास के मंत्र की शक्ति को दिखाती है। टीकों की 100 करोड़ खुराक के बाद आज देश नए उत्साह, नई ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सफलता का उन्हें दृढ़ विश्वास था क्योंकि वह अपने देश, अपने देश के लोगों की क्षमताओं से भलीभांति परिचित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता था कि हमारे स्वास्थ्यकर्मी देशवासियों के टीकाकरण में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।’’
उन्होंने कहा कि 100 करोड़ खुराक का आंकड़ा बहुत बड़ा जरुर है लेकिन इससे लाखों छोटे-छोटे प्रेरक और गर्व से भर देने वाले अनेक अनुभव व कई उदाहरण जुड़े हुए हैं|
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्वास्थ्य-कर्मियों ने अपने अथक परिश्रम और संकल्प से एक नई मिसाल पेश की है। उन्होंने नवोन्मेष के साथ अपने दृढ़ निश्चय से मानवता की सेवा का एक नया मानदंड स्थापित किया।’’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखंड के बागेश्वर की एक महिला स्वास्थ्यकर्मी पूनम नौटियाल से बात की और टीकाकरण के दौरान उन्हें हुई कठिनाइयों पर चर्चा की।
उन्होंने नौटियाल से कहा, ‘‘आज मैं सिर्फ आपका ही आभार व्यक्त नहीं कर रहा हूं बल्कि हर उस भारतवासी का आभार व्यक्त कर रहा हूं, जिसने ‘सबको टीके-मुफ्त टीके’ अभियान को कामयाबी दी।’’
महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में वृद्धि की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में जहां इनकी संख्या 1.5 लाख के करीब थी, वहीं 2020 तक इसमें दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे और भी ज्यादा संख्या में महिलाएं पुलिस सेवा में शामिल होंगी और देश की पुलिस सेवा की नयी पीढ़ी का नेतृत्व करेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले यह धारणा बन गई थी कि सेना और पुलिस जैसी सेवा केवल पुरुषों के लिए ही होती है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या दोगुनी हो गई है। 2014 में जहां इनकी संख्या 1.5 लाख के करीब थी, वहीं 2020 तक इसमें दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और यह संख्या अब 2.15 लाख तक पहुंच गई है।’’
ज्ञात हो कि मोदी 2014 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों में भी पिछले सात सालों में महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी हुई है और आज देश की बेटियां कठिन से कठिन कर्तव्य भी पूरी ताकत और हौसले से पूरा कर रही हैं।
इस क्रम में उन्होंने सबसे कठिन माने जाने वाले प्रशिक्षणों में एक विशिष्ट जंगल युद्ध कमांडो के प्रशिक्षण का उल्लेख किया और कहा कि आगे जाकर यह प्रशिक्षित बेटियां कोबरा बटालियन का हिस्सा बनेंगी।
उन्होंने कहा कि आज हवाई अड्डों से लेकर मेट्रो स्टेशनों तक या सरकारी दफ्तरों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की जांबाज महिलाएं हर संवेदनशील जगह की सुरक्षा करते दिखाई देती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसका सबसे सकारात्मक असर हमारे पुलिस बल के साथ-साथ समाज के मनोबल पर भी पड़ रहा है। महिला सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी से लोगों में, विशेषकर महिलाओं में सहज ही एक विश्वास पैदा होता है। वे उनसे स्वाभाविक रूप से खुद को जुड़ा महसूस करती हैं। महिलाओं की संवेदनशीलता की वजह से भी लोग उन पर ज्यादा भरोसा करते हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला पुलिसकर्मी आज देश की लाखों और बेटियों के लिए भी आदर्श बन रही हैं। उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों से अनुरोध किया कि वे स्कूलों के खुलने के बाद अपने क्षेत्रों के स्कूलों में जाएं और बच्चियों से बात करें।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस बातचीत से हमारी नयी पीढ़ी को एक नयी दिशा मिलेगी। यही नहीं, इससे पुलिस पर जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।’’
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि इससे आगे और भी ज्यादा संख्या में महिलाएं पुलिस सेवा में शामिल होंगी और पुलिस सेवा की भावी पीढ़ी का नेतृत्व करेंगी।
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र स्थापना दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वैश्विक संस्था का एक अनोखा पहलू यह भी है कि उसका प्रभाव और उसकी शक्ति बढ़ाने में भारत की नारी शक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है।
इस कड़ी में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि रहीं हंसा मेहता और लक्ष्मी मेनन का उल्लेख किया और कहा कि लैंगिक समानता के लिए उन्होंने पुरजोर आवाज उठाई। उन्होंने विजया लक्ष्मी पंडित के संयुक्त राष्ट्र आम सभा की पहली महिला अध्यक्ष बनने का भी जिक्र किया।
आगामी 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर मनाए जाने वाले ‘‘राष्ट्रीय एकता दिवस’’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सभी का दायित्व है कि वह एकता का संदेश देने वाली किसी-ना-किसी गतिविधि से जरुर जुड़ें।
उन्होंने बताया कि सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने और एकता के उनके संदेश को प्रसारित करने के लिए हाल ही में गुजरात पुलिस ने कच्छ के लखपत किले से ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’’ तक मोटरसाइकिल रेली निकाली गई वहीं त्रिपुरा पुलिस के जवानों ने त्रिपुरा से ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’’ तक इसी प्रकार की रैली निकाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरब से चलकर पश्चिम तक देश को जोड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी उरी से पठानकोट तक ऐसी ही रैली निकालकर देश की एकता का संदेश दे रहे हैं।’’
कश्मीर में सेना और सरकारी दफ्तरों के लिए तिरंगा सिलने का काम करने वाली महिलाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह काम देशभक्ति की भावना से भरा हुआ है। मैं इन बहनों के जज़्बे की सराहना करता हूं।’’
प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि देश की एकता के लिए उन्हें भी कुछ-न-कुछ जरुर करना चाहिए।
‘‘मन की बात’’ की इस कड़ी में प्रधानमंत्री ने महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का भी उल्लेख किया और याद दिलाया कि उन्हें ‘‘धरती आबा’’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है ‘‘धरती पिता’’।
उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना और प्रकृति व पर्यावरण से प्रेम करना सिखाया।
उन्होंने कहा, ‘‘बिरसा मुंडा ने विदेशी शासन की हर उस नीति का पुरजोर विरोध किया, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली थी। गरीब और मुसीबत से घिरे लोगों की मदद करने में भगवान बिरसा मुंडा हमेशा आगे रहे। उन्होंने सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए समाज को जागरूक भी किया।’’
प्रधानमंत्री ने पर्व और त्योहारों के मौसम का हवाला देते एक बार फिर देशवासियों से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘खरीदारी मतलब ‘वोकल फॉर लोकल’ है। आप स्थानीय उत्पाद खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी।’’
उन्होंने अपील की कि लोग अपने यहां के स्थानीय उत्पाद खरीदें और उनके बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी भी साझा करें।
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