खेल की खबरें | एएफआई शिविर का आयोजन नहीं कर रहा लेकिन डोपिंग जांच के लिए खिलाड़ियों पर रहेगी नजर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Sports at LatestLY हिन्दी. भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने राष्ट्रीय शिविरों के बंद होने के बाद भविष्य में डोपिंग के मामले बढ़ने की चिंताओं को खारिज करते हुए बुधवार को यहां कहा कि वह खिलाड़ियों की निगरानी करने के अलावा नाडा के साथ प्रासंगिक जानकारी साझा करना जारी रखेगा।

 चंडीगढ़, आठ जनवरी भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने राष्ट्रीय शिविरों के बंद होने के बाद भविष्य में डोपिंग के मामले बढ़ने की चिंताओं को खारिज करते हुए बुधवार को यहां कहा कि वह खिलाड़ियों की निगरानी करने के अलावा नाडा के साथ प्रासंगिक जानकारी साझा करना जारी रखेगा।

एएफआई ने पेरिस ओलंपिक के बाद रिले टीमों को छोड़कर राष्ट्रीय शिविरों को समाप्त करने का फैसला किया। रिले टीम राष्ट्रीय निकाय की प्रत्यक्ष निगरानी में रहेंगी।

एएफआई की लंबे से की रिले टीमों के लिए शिविर से बाहर के खिलाड़ियों को नहीं चुनने की नीति रही है। यह फैसला इसलिए किया गया था क्योंकि शिविर में रहने वाले खिलाड़ियों का बार-बार परीक्षण नहीं किया जा सकता है।  

 खिलाड़ी अब राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों में प्रशिक्षण ले सकते हैं जो भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के अधीन हैं। वे जेएसडब्ल्यू, रिलायंस और टाटा जैसे निजी निकायों में भी अभ्यास कर सकते हैं। वे राज्यों या सेना, नौसेना या वायु सेना से जुड़े केंद्रों पर भी प्रशिक्षण ले सकते हैं।

एएफआई के 12 साल तक अध्यक्ष रहे सुमरिवाला से पूछा गया कि क्या ऐसी स्थिति में खिलाड़ियों पर नजर रखना या डोपिंग जांच के लिए नमूना लेना मुश्किल नहीं होगा तो उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक अलग निगरानी टीम बनाई है जो उन सभी स्थानों की निगरानी करेगी जहां खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं। यह प्रत्येक एथलीट की जानकारी एकत्र करेगी। यह जानकारी नाडा को साझा की जाएगी।’’

उन्होंने यह भी कहा कि एएफआई की आम सभा ने उस समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है जो डोपिंग मुद्दे को देखने के लिए बनाई गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने डोपिंग मुद्दे पर आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी सागरप्रीत हुडा के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी । वह दिल्ली पुलिस के विशेष इकाई के आयुक्त हैं। उन्होंने कुछ सिफारिशें की हैं और एजीएम ने सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। अब हम देखेंगे कि कौन सी सिफारिशें लागू की जा सकती हैं और हम उन्हें कैसे करते हैं।’’

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