अधिवक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता: उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अधिवक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सेवाओं में कोताही के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता और खराब सेवा के लिए उन पर उपभोक्ता अदालतों में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

Supreme Court | PTI

नयी दिल्ली, 14 मई : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अधिवक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सेवाओं में कोताही के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता और खराब सेवा के लिए उन पर उपभोक्ता अदालतों में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि विधि व्यवसाय अलग होता है और इसमें काम की प्रकृति विशिष्ट होती है जिसकी तुलना अन्य व्यवसायों से नहीं की जा सकती. यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया

पीठ ने कहा, ‘‘अधिवक्ताओं को ग्राहक की स्वायत्तता का सम्मान करना होता है. काफी हद तक सीधा नियंत्रण वकील के मुवक्किल के पास होता है. इससे हमारी राय मजबूत होती है कि अनुबंध व्यक्तिगत सेवा का है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा की परि से बाहर है.’’

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