देश की खबरें | ‘उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन कर दायर की गई याचिका स्वीकार किया जाना संविधान का अपमान’
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. डॉ. भीमराव आंबेडकर के पड़पोते राजरत्न आंबेडकर ने सोमवार को कहा कि निचली अदालत द्वारा उपासना स्थल अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित याचिका स्वीकार करना और नोटिस जारी करना संविधान का अपमान है।
जयपुर, 11 दिसंबर डॉ. भीमराव आंबेडकर के पड़पोते राजरत्न आंबेडकर ने सोमवार को कहा कि निचली अदालत द्वारा उपासना स्थल अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित याचिका स्वीकार करना और नोटिस जारी करना संविधान का अपमान है।
अजमेर में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "अगर यह जारी रहा, तो हम मंदिरों के नीचे बौद्ध विरासत स्थलों को उजागर करने के लिए याचिका दायर करेंगे।"
अजमेर की एक निचली अदालत ने 27 नवंबर को अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर एक याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह एक शिव मंदिर की जगह बना बनाई गई।
मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
इस मामले पर अजमेर में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राजरत्न आंबेडकर ने कहा, "हम कोई संघर्ष नहीं चाहते।’’
उन्होंने कहा ‘‘ उपासना स्थल अधिनियम 1991 के बावजूद, एक निचली अदालत द्वारा उपासना स्थलों की जांच करने के लिए याचिका स्वीकार करना और नोटिस जारी करना संविधान का अपमान है। न्यायपालिका के माध्यम से संविधान को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है और भारत में उपासना स्थल अधिनियम 1991 लागू होने के बावजूद, जांच की अनुमति दी जा रही है।" उन्होंने कहा, "अगर ऐसी जांच की अनुमति दी जाती है, तो हम पीछे नहीं रहेंगे और मंदिरों के नीचे बौद्ध विरासत को उजागर करने के लिए याचिका दायर करेंगे।
उन्होंने दावा किया कि पुरातत्व विशेषज्ञों ने कहा है कि सोमनाथ मंदिर के 12 फुट नीचे बौद्ध स्थलों के अवशेष हैं। उन्होंने कहा, "अगर भारत सरकार आने वाले समय में अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है, तो हम जांच की मांग के लिए याचिका दायर करेंगे। हमारे पास सबूत हैं, चाहे वह सोमनाथ मंदिर हो या तिरुपति बालाजी मंदिर।"
एसडीपीआई की राष्ट्रीय महासचिव यास्मीन फारूकी ने अजमेर की अदालत में दायर याचिका को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को सीधी चुनौती बताया। उन्होंने कहा, "यह याचिका डॉ. आंबेडकर के संविधान के लिए एक अग्नि परीक्षा है। इसके मुख्य संरक्षक के रूप में प्रधानमंत्री मोदी को न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
कुंज जोहेब
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