देश की खबरें | गुजरते साल में अंतरिक्ष स्टेशन, फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, अनुसंधान को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया गया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उम्मीदों को इस साल नये पंख लगे, जब सरकार ने अंतरिक्ष संबंधी दृष्टिकोण पेश किया जिसके तहत 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2047 तक किसी भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य है। इसके साथ ही क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है।
नयी दिल्ली, 31 दिसंबर विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उम्मीदों को इस साल नये पंख लगे, जब सरकार ने अंतरिक्ष संबंधी दृष्टिकोण पेश किया जिसके तहत 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2047 तक किसी भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य है। इसके साथ ही क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है।
सरकार ने ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ भी शुरू किया है, जिसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अल्प वित्तपोषित महाविद्यालयों और सरकारी विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए 50,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराना है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरे चंद्रयान-3 मिशन के अवलोकनों पर आधारित शोध पत्र इस वर्ष प्रकाशित किए। मिशन के जरिये हिंद महासागर के तल पर हाइड्रो-थर्मल वेंट की तस्वीरें भी ली गई हैं, जो खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच हुए समझौते के अनुसार, एक्सिओम-4 मिशन के तहत एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरेगा। भारत के अंतरिक्ष यात्री-नामित ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अगले साल मार्च से जून के बीच होने वाले मिशन के लिए अमेरिका में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
नए साल में, इसरो स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) भी करेगा, जिसमें परिक्रमा करने वाले दो अंतरिक्ष यान की डॉकिंग (जुड़ने) का प्रदर्शन किया जाएगा। यह परीक्षण चंद्रयान-4 जैसे भविष्य के मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
गगनयान मानव अंतरिक्ष यान का पहला मानव रहित मिशन भी अगले साल की शुरुआत में होने की उम्मीद है। भारत का लक्ष्य 2026 में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को एक छोटी अंतरिक्ष उड़ान पर भेजना है।
‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की औपचारिक स्थापना फरवरी में की गई, जिसका उद्देश्य सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अनुसंधान और निधियों के बीच के अंतर को पाटना है, जहां 95 प्रतिशत छात्र अध्ययनरत हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में फाउंडेशन के गवर्निंग बोर्ड ने उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति के लिए मिशन (एमएएचए) के तहत प्रमुख रणनीतिक और उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान में तेजी लाने की पहल को मंजूरी दे दी है। एमएएचए कार्यक्रम के तहत तत्काल सहायता के लिए दो प्राथमिकता वाले क्षेत्र इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी और उन्नत सामग्री हैं।
यह युवा शोधकर्ताओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में अपना शोध कैरियर शुरू करने में सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री-प्रारंभिक कैरियर अनुसंधान अनुदान (पीएम-ईसीआरजी) कार्यक्रम को भी लागू करेगा।
भारत अपने तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण को शुरू करने की दहलीज पर भी है, क्योंकि परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने तमिलनाडु के कलपक्कम में 500 मेगावाट प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) को चालू करने की मंजूरी दे दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएफबीआर के 2025 में पूर्ण सक्रिय होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक जटिल है और भारत इस तरह के परमाणु रिएक्टर को संचालित करने वाला एकमात्र देश होगा।
पीएफबीआर प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु ईंधन के रूप में करेगा और थोरियम के भविष्य के उपयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह ऐसा संसाधन है जो भारत में प्रचुर मात्रा में है। विशेषज्ञों का मानना है कि थोरियम का उपयोग करने की तकनीक में महारत हासिल करने से भारत का ऊर्जा भविष्य सुरक्षित हो सकता है।
परमाणु ऊर्जा विभाग ने जादुगुड़ा में भारत की सबसे पुरानी यूरेनियम खदान में नए भंडारों की महत्वपूर्ण खोज की भी घोषणा की। मौजूदा खदान पट्टा क्षेत्र में और उसके आसपास की गई इस खोज से पुरानी खदान का जीवन 50 साल से अधिक बढ़ जाएगा।
इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की तर्ज पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार की भी शुरुआत की गई। विभिन्न विज्ञान विभागों द्वारा दिए जाने वाले कई पुरस्कारों को समाप्त करने के बाद नए पुरस्कारों की शुरुआत की गई, ताकि ऐसे सम्मानों को तर्कसंगत बनाया जा सके।
पहले वर्ष में, राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार चार श्रेणियों विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा और विज्ञान टीम में 33 प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को प्रदान किया गया।
सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में मौजूदा औद्योगिक और विनिर्माण प्रक्रियाओं को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने तथा कम अपव्ययी बनाने के उद्देश्य से बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति का भी अनावरण किया।
नीति का उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग करना तथा ऐसी नयी विनिर्माण विधियां विकसित करना है जो प्राकृतिक जैविक प्रणालियों में पाई जाने वाली प्रक्रियाओं की प्रतिकृति या अनुकरण कर सकें।
वर्ष 2023 में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की घोषणा के बाद, चार विषयगत केंद्र स्थापित किए गए, जिनमें से प्रत्येक विशिष्ट अनुसंधान क्षेत्रों से संबंधित है। ये केंद्र हैं आईआईएससी बेंगलुरु में क्वांटम कंप्यूटिंग, सी-डॉट, नयी दिल्ली के सहयोग से आईआईटी मद्रास में क्वांटम संचार, आईआईटी बंबई में क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी; तथा आईआईटी दिल्ली में क्वांटम सामग्री और उपकरण।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का उद्देश्य अगले तीन वर्षों में 20-50 क्यूबिट, अगले पांच वर्षों में 50-100 क्यूबिट तथा अगले 10 वर्षों में 50-1000 क्यूबिट की गणना करने की क्षमता वाला क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना है।
एक जनवरी से विश्वविद्यालयों और आईआईटी सहित सरकार वित्तपोषित उच्च शिक्षा संस्थानों के लगभग 1.8 करोड़ छात्रों को दुनिया भर की शीर्ष पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्रों तक पहुंच प्राप्त होगी।
सरकार की ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ पहल के तहत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, गणित, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान और मानविकी को कवर करने वाली 13,400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाएं शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराई जाएंगी।
दिसंबर में, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के समुद्री वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे स्थित एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की तस्वीर खींची थी।
वैज्ञानिकों की टीम ने अनुसंधान पोत सागर निधि से एक स्वचालित ‘अंडरवाटर व्हीकल’ (एयूवी) लॉन्च किया और हाइड्रोथर्मल वेंट की तस्वीरें खींचीं। हाइड्रोथर्मल वेंटिंग से जमा होने वाले पदार्थ में आमतौर पर तांबा, जस्ता, सोना, चांदी, प्लैटिनम, लोहा, कोबाल्ट, निकल और अन्य आर्थिक रूप से लाभकारी खनिज और धातुएं प्रचुर मात्रा में होती हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)