चीन की एक महिला डॉक्टर ने वुहान में कोविड के पहले मामले के उपचार को याद किया

तब से दुनिया भर में 21 लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आ गये और उसके चलते कम से कम 1,45,000 लोगों की मौत हो चुकी है। यह वायरस पूरी दुनिया के लिए न केवल चिंता का विषय बल्कि विवाद की जड़ भी बन गया है क्योंकि चीन ने अब तक उसके स्रोत या उसके उद्भव के ब्योरे का खुलासा नहीं किया।

बीजिंग/वुहान, 17 अप्रैल चीन और दुनिया को अपनी चपेट में ले चुके घातक कोरोना वायरस का पिछले साल दिसंबर में वुहान में एक वृद्ध महिला में तब पता चला था जब झांग जिक्शियान नामक महिला डॉक्टर ने उसका सीटी स्कैन किया था। चीन के सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए इस महिला डॉक्टर की, प्रशासन को कोविड-19 वायरस के बारे में चौकस करने के लिए प्रशंसा की है।

तब से दुनिया भर में 21 लाख से अधिक लोग इस वायरस की चपेट में आ गये और उसके चलते कम से कम 1,45,000 लोगों की मौत हो चुकी है। यह वायरस पूरी दुनिया के लिए न केवल चिंता का विषय बल्कि विवाद की जड़ भी बन गया है क्योंकि चीन ने अब तक उसके स्रोत या उसके उद्भव के ब्योरे का खुलासा नहीं किया।

अकेले चीने में कोविड-19 के 82,692 मामले सामने आ गये और उनमें से 4,632 मरीजों की जान चली गयी।

वुहान की सांस संबंधी डॉक्टर झांग ने पुरानी बात करते हुए कहा कि 26 दिसंबर को आसपास के क्षेत्र से एक बुजुर्ग दंपत्ति हुबई प्राविंशियल हॉस्पिटल ऑफ इंटीग्रेटेड चाइनीज एवं वेस्टर्न मेडिसीन पहुंचा था । महिला की जांच हुई और यह रोगाणु सामने आया तथा मानव जाति के लिए एक चुनौती बन गया। इसे इस बीमारी की खोज के समय पर चीन का पहला आधिकारिक बयान बताया जा रहा है।

इस वायरस के सामने आने के बाद कोविड-19 के पहले मामले के बारे में दुनिया में बड़ी दिलचस्पी है जिससे यह पता चल सकता है कि कैसे यह सामने आया । माना जाता है कि यह वायरस जानवर से इंसान में आया और फिर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता चला गया।

चीन इस वायरस के बारे में बहुत ही कम जानकारियां सामने रखने को लेकर अमेरिका एवं अन्य देशों के निशाने पर है। यह वायरस वुहान और दुनिया में दावानल की तरह फैल गया।

अस्पताल की श्वांस एवं गंभीर देखभाल मेडिसिन विभाग की निदेशक झांग ने पहले मामले के बारे जानकारियां सामने रखते हुए कहा कि इस बुजुर्ग दंपत्ति को ज्वर, खांसी एवं थकान जैसे लक्षण थे जो फ्लू या निमोनिया जैसा लगा।

सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार लेकिन जब अगले दिन झांग (54) के पास उनका सीटी स्कैन पहुंचा तब उन्हें फ्लू या सामान्य निमोनिया से भिन्न बातें नजर आयीं।

वर्ष 2003 में फैली सार्स महामारी के दौरान वुहान में मेडिकल विशेषज्ञ के रूप में संदिग्ध मरीजों की जांच कर चुकीं झांग का वह अनुभव इस मौके पर काम आया और उन्हें महामारी के संकेत का आभास हुआ। उन्होंने बुजुर्ग दंपत्ति के सीटी स्कैन देखने के बाद उनके बेटे को बुलाया और उसे भी सीटी स्कैन कराने को कहा।

झांग ने कहा, ‘‘ उनके पहले बेटे ने परीक्षण कराने से इनकार कर दिया। उससे कोई लक्षण या परेशानी नहीं थी और उसे लगा कि हम उससे पैसे ऐंठने का प्रयास कर रहे हैं।’’

लेकिन झांग के दबाव में उसने परीक्षण कराया और दूसरा सबूत सामने आया , उसके बेटे के फेफड़ों में वही असामान्यता थी जो उसके माता-पिता में थी।

झांग ने शिन्हुआ से कहा, ‘‘ ऐसा हो नहीं सकता कि एक ही परिवार के तीन सदस्यों को एक ही समय एक ही बीमारी हो जाए तबतक वह संक्रामक रोग न हो।

अगले दिन 27 दिसंबर को अस्पताल में एक और मरीज आया और उसे भी वही लक्षण थे। चारों के रक्त परीक्षण से वायरल संक्रमण का पता चलता। झांग से उन्होंने इंफ्लुएंजा संबंधी कई परीक्षण कराये लेकिन उनके नतीजे में कुछ नहीं निकला।

तब झांग ने अस्पताल को एक रिपोर्ट सौंपी और उसे जिला स्तरीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र को सौंपा गया।

उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट यह थी कि हमने एक विषाणु रोग का पता लगाया और संभवत: वह संक्रामक है।’’

तब झांग को तनिक भी मालूम नहीं था कि यह एक ऐसी महामारी की पहली रिपोर्टों में शामिल होगी जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद बहुत तेजी से फैली, उससे बहुत ज्यादा संक्रमण फैला और उस पर काबू पाना सबसे कठिन रहा।

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