जरुरी जानकारी | भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों के 40-50 एफडीआई प्रस्ताव लंबित

नयी दिल्ली, 31 मई भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से प्रेस नोट-3 के प्रावधानों के तहत 40-50 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्ताव सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित हैं। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी

प्रेस नोट-3 के तहत सरकार ने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिए पूर्व मंजूरी को अनिवार्य कर दिया है। ये देश हैं...चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यामां और अफगानिस्तान।

इसके अनुसार, इन देशों से भारत के किसी क्षेत्र में निवेश के लिए एफडीआई प्रस्तावों पर सरकार की मंजूरी जरूरी है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘सुरक्षा और राजनीतिक मंजूरियों के अभाव में करीब 40-50 प्रस्ताव वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पास लंबित हैं।’’

सूत्रों ने बताया कि इस प्रेस नोट के तहत मानदंडों को सुगम करने का फिलहाल कोई विचार नहीं है।

सूत्र ने कहा, ‘‘इन देशों से एफडीआई पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं है। बस इतना है कि उन्हें (इन देशों के निवेशकों को) सरकारी मंजूरी मार्ग का अनुपालन करना होगा और निश्चित रूप से इसमें समय लगता है।’’

सरकार तीन महीने में इन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसमें लगभग सात महीने लग जाते हैं।

उद्योग सूत्रों के अनुसार, चीन की सबसे बड़ी वाहन विनिर्माता एसएआईसी के स्वामित्व वाला ब्रिटिश ब्रांड एमजी मोटर लगभग दो साल से अपनी मूल कंपनी से धन जुटाने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।

एमजी मोटर इंडिया ने हाल ही में कहा था कि वह अगले दो-चार साल में स्थानीय भागीदारों और निवेशकों को बड़ी हिस्सेदारी की पेशकश करने की योजना बना रही है क्योंकि वह देश में अपने वृद्धि के अगले चरण के लिए लगभग 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाना चाहती है।

हालांकि, उसे अबतक इस दिशा में सफलता नहीं मिली है। ऐसे में उसने जरूरी पूंजी जुटाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है।

भारत में कुल एफडीआई प्रवाह पिछले वित्त वर्ष में 16 प्रतिशत घटकर 70.97 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2021-22 में 84.83 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। इसमें इक्विटी प्रवाह, पुन:निवेश वाली आय और अन्य पूंजी शामिल है।

प्रेस नोट-3 को अप्रैल, 2020 में पेश किया गया था क्योंकि सरकार कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण पर अंकुश लगाना चाहती थी।

इन प्रस्तावों की जांच के लिए सरकार द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।

सभी प्रशासनिक मंत्रालयों और विभागों को इन प्रस्तावों पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए समर्पित एफडीआई प्रकोष्ठ बनाने की सलाह दी गई है।

अप्रैल, 2000 से मार्च, 2023 की अवधि के दौरान भारत को चीन से 2.5 अरब डॉलर की एफडीआई इक्विटी प्राप्त हुई है।

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