देश की खबरें | 23 बाल श्रमिक मुक्त कराए गए: एनएचआरसी ने दिल्ली सरकार और पुलिस आयुक्त को नोटिस भेजा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मंगलवार को कहा कि उसने उत्तर पश्चिम जिले से 23 बाल श्रमिकों को मुक्त कराने की खबर को लेकर दिल्ली सरकार और राजधानी के पुलिस आयुक्त को नोटिस भेजा है।

नयी दिल्ली, नौ जुलाई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मंगलवार को कहा कि उसने उत्तर पश्चिम जिले से 23 बाल श्रमिकों को मुक्त कराने की खबर को लेकर दिल्ली सरकार और राजधानी के पुलिस आयुक्त को नोटिस भेजा है।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि बताया जा रहा है कि बाल श्रमिकों को आसपास के राज्यों से लाया गया था जो कथित तौर पर विभिन्न कारखानों में काम कर रहे थे।

इसमें कहा गया है कि यह जानने के लिए दिल्ली में एक सर्वेक्षण की आवश्यकता है कि क्या और भी औद्योगिक इकाइयां हैं जहां बाल श्रमिक काम कर रहे हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

मानवाधिकार निकाय ने पांच जुलाई की एक मीडिया खबर पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि नौ लड़कियों सहित 23 बाल श्रमिकों को सरस्वती विहार क्षेत्र से मुक्त कराया गया।

यह कहा गया कि रिपोर्ट की सामग्री यदि सच है, तो यह बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाया गया है।

बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के काम पर रखने पर प्रतिबंध लगाता है। कानून किसी बच्चे को नियोजित करने को भी एक आपराधिक कृत्य बनाता है।

एनएचआरसी ने दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है।

एनएचआरसी ने कहा कि उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जिला अधिकारी को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई कार्रवाई, बाल श्रमिकों के पुनर्वास और उनका उनके संबंधित परिवारों के साथ पुनर्मिलन के साथ-साथ उनकी शिक्षा जारी रखने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत देने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

बयान में कहा गया है कि जिलाधिकारी से यह भी अपेक्षा की जाती है कि यदि किसी बाल श्रमिक को ‘बंधक’ बनाकर रखा गया था तो की गई कानूनी कार्रवाई के बारे में सूचित करें।

एक अलग बयान में एनएचआरसी ने कहा कि उसने पांच जुलाई की मीडिया की एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा के जींद में एक सिविल अस्पताल का बुनियादी ढांचा ‘खराब स्थिति’ में है।

बयान में कहा गया, ‘‘अस्पताल में चिकित्सकों के 55 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से केवल 19 पद भरे हुए हैं। कथित तौर पर लगभग 2,000 मरीज प्रतिदिन अस्पताल आते हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर को अन्य अस्पतालों में भेजा जाता है क्योंकि अस्पताल में न तो उचित चिकित्सा उपकरण हैं और न ही दवाएं। अस्पताल में बंदरों के आतंक ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं।’’

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