देश की खबरें | दिल्ली में 2020 के दंगे: सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध पर न्यायालय ने अप्रसन्नता जताई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को मिली जमानत के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर मंगलवार को अप्रसन्नता जताई।
नयी दिल्ली, 31 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं को मिली जमानत के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर मंगलवार को अप्रसन्नता जताई।
सुनवाई स्थगित करने का यह अनुरोध इस आधार पर किया गया कि पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ विधि अधिकारी दूसरी अदालत में व्यस्त थे।
न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कई मामलों में व्यस्त हो सकते हैं, लेकिन कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी ताकि इस मामले की सुनवाई हो सके।
पीठ ने मामले की सुनवाई 21 फरवरी तक के लिए स्थगित करते हुए कहा, ‘‘अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती है तो हम मानेंगे कि सरकार के पास इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है।’’
शीर्ष अदालत के समक्ष 17 जनवरी को पुलिस ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था कि सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता एक संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई में हिस्सा ले रहे हैं।
पीठ ने तब मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया था। पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि सरकार द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था की जानी है, तो वे सुनवाई की अगली तारीख के लिए ऐसा कर सकते हैं।’’
मंगलवार को सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसीटर जनरल अदालत में मौजूद नहीं थे। बाद में वकील रजत नायर पुलिस की तरफ से पेश हुए और मामले पर सुनवाई अगले सप्ताह तक स्थगित करने का अनुरोध किया।
नायर ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल अदालत में मौजूद हैं, लेकिन उन्हें किसी अन्य मामले के लिए दूसरी अदालत में जाना पड़ा, जिसकी सुनवाई संविधान पीठ कर रही है।
पीठ ने अपने पिछले आदेश का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हम यहां बैठे हुए हैं...किसी और को आना चाहिए। कई मामलों में सॉलिसीटर जनरल की आवश्यकता हो सकती है।’’
शीर्ष अदालत ने 17 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, ‘‘हम अनावश्यक रूप से लोगों को जेल में रखने में विश्वास नहीं करते हैं।’’
शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 जून, 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली पुलिस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में जमानत दी गई थी।
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