बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में सबसे बड़ी बाधा हैं अनसुलझे मुद्दे
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रिश्तों को सुधारने पर बातचीत शुरू हुई है. बांग्लादेश का कहना है कि अनसुलझे मुद्दों का हल निकले तो ही संबंध बेहतर होंगे.पाकिस्तान की विदेश सचिव मामून बलूच ने अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन के साथ अहम बैठक की है. यह बीते करीब डेढ़ दशक के बाद दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की पहली बैठक थी. इस बैठक में बांग्लादेश ने दोनों देशों के आपसी संबंधों की बेहतरी के लिए 'ऐतिहासिक अनसुलझे मुद्दों' को शीघ्र सुलझाने की मांग उठाई है.

दोनों देशों की ओर से बैठक के सकारात्मक होने का दावा करने के बावजूद फिलहाल उनके बीच बर्फ पिघलती नजर नहीं आ रही है. यह अनसुलझे मुद्दे ही इन दोनों के बीच शुरू हुए आपसी संबंधों के नए अध्याय की सबसे बड़ी बाधा या उलझन बन गए हैं.

हालांकि संबंधों के नए अध्याय को आगे बढ़ाने के लिए विदेश सचिव के बाद अब इसी महीने की 27 और 28 तारीख को पाकिस्तान के विदेश मंत्री मुहम्मद इसहाक डार भी बांग्लादेश के दो दिन के दौरे पर आने वाले हैं. यह 13 साल बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा होगा.

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पाकिस्तान-बांग्लादेश के अनसुलझे मुद्दे

वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद से वर्ष 1971 यानी करीब 24 वर्षों तक पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर पाकिस्तान का हिस्सा रहे बांग्लादेश के वो अनसुलझे मुद्दे आखिर क्या हैं? वास्तव में ये वो मुद्दे हैं जो बांग्लादेश के स्वतंत्र होने के बाद से ही विवादास्पद बने हुए हैं.

बांग्लादेश लगातार इन्हें उठाता रहा है, लेकिन अब भी समस्या जस की तस है. इनमें चार मुद्दे प्रमुख हैं. सबसे पहला है पाकिस्तान से अलग होने के बाद साझा संपत्ति में बांग्लादेश का हिस्सा. बांग्लादेश का दावा है कि उस संपत्ति में उसका हिस्सा करीब 4.32 अरब अमेरिकी डॉलर है. पाकिस्तान को यह रकम उसे सौंप देनी चाहिए.

इसके अलावा वर्ष 1970 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में आए चक्रवाती तूफान से देश के विभिन्न हिस्सों में भारी नुकसान पहुंचा था. उस समय विदेशों से मदद के तौर पर भारी रकम मिली थी. हालांकि अगले साल ही मुक्ति संघर्ष शुरू होने और फिर बांग्लादेश के स्वाधीन होने की वजह से पाकिस्तान ने वह रकम बांग्लादेश के प्रभावितों के लिए उसे नहीं सौंपी थी. बांग्लादेश लगातार इस रकम के भुगतान की मांग करता रहा है. उसके मुताबिक, इस रकम का आंकड़ा करीब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर है.

इनके अलावा एक और मुद्दा है मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान सरकार की ओर से की गई कथित सामूहिक हत्याएं और बड़े पैमाने पर अत्याचार. बांग्लादेश के गठन के समय से ही पाकिस्तान से इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग उठती रही है. देश के स्वाधीन होने के बाद करीब सवा तीन लाख पाकिस्तानी नागरिक बांगलादेश में फंस गए थे. उनमें से कुछ ने बांग्लादेश में ही बसने की इच्छा जताई तो कुछ ने पाकिस्तान लौटने की. बांग्लादेश पाकिस्तान से इन नागरिकों को वापस लेने की मांग भी करता रहा है. विदेश सचिव स्तर की बैठक में भी यही मुद्दे हावी रहे.

कैसी रही विदेश सचिवों की मुलाकात?

बैठक के बाद बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन ने राजधानी ढाका में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "देश विभाजन के समय साझा संपत्ति में से बांग्लादेश का हिस्सा करीब 4.32 करोड़ अमेरिकी डॉलर था. बांग्लादेशी मुद्रा में यह रकम करीब 52 हजार करोड़ टका बनती है. "उनका कहना था, "हमने बैठक में साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच संबंधों की बेहतरी के लिए इन ऐतिहासिक अनसुलझे मुद्दों को शीघ्र सुलझाना जरूरी है."

जसीम उद्दीन के मुताबिक, देश विभाजन के समय बांग्लादेश में फंसे सवा तीन लाख पाकिस्तानी नागरिकों को वापस लेने का मुद्दा भी उठाया गया है. बांग्लादेश में मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से बड़े पैमाने पर किए गए अत्याचार और सामूहिक हत्याएं बांग्लादेश में सबसे बड़ा भावनात्मक मुद्दा है.

मुक्ति युद्ध के दौरान तो पाक सेना की करतूतों ने लगातार सुर्खियां बटोरी. बांग्लादेश के तमाम राजनीतिक दल बीते पांच दशकों से भी ज्यादा समय में लगातार यह मुद्दा उठा कर पाकिस्तान से इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करते रहे हैं. विदेश सचिवों की बैठक में भी इस मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर भविष्य में बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है. पाक विदेश सचिव ने दोनों देशों के विशाल क्षेत्रीय बाजार को देखते हुए इसके दोहन की संभावना तलाशने पर भी जोर दिया. बैठक के बाद होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में जशीम उद्दीन का कहना था, "पाक-बांग्लादेश संबंधों की नींव मजबूत करने के लिए अनसुलझे मुद्दों को सुलझाना बेहद जरूरी है." उन्होंने दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवा शुरू करने की भी बात कही.

तो क्या बांग्लादेश का झुकाव अब भारत की बजाय पाकिस्तान की ओर बढ़ रहा है? पत्रकारों के इस सवाल पर जशीम उद्दीन का कहना था, "ऐसी कोई बात नहीं है. हम आपसी हितों और पारस्परिक सम्मान के आधार पर पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को आगे ले जाने चाहते हैं. किसी देश के साथ संबंध मजबूत करने का मतलब उसकी ओर झुकना नहीं है. हमने अपनी स्थिति पाकिस्तान के सामने स्पष्ट कर दी है. उन्होंने भी इन मुद्दों को सुलझाने के लिए सकारात्मक सोच के साथ बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है. "

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दूसरी ओर, पाकिस्तान की विदेश सचिव मामून बलूच ने इस बैठक और अनसुलझे मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने बैठक में आपसी संबंधों की मजबूती पर ही जोर दिया. बाद में अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के साथ मुलाकात के दौरान भी उन्होंने आपसी हितों और पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर ही चर्चा की.

कैसे सुलझेंगे अनसुलझे मुद्दे?

क्या बांग्लादेश की ओर से उठाए गए अनसुलझे मुद्दों को उठाना पाकिस्तान के लिए आसान होगा? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन तमाम मांगों को पूरा करना उसके लिए संभव नहीं है. कोलकाता के रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती डीडब्ल्यू से कहते हैं, "स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान के आंकड़ों को देखें तो इस साल चार अप्रैल तक उसका विदेशी मुद्रा भंडार करीब डेढ़ अरब डॉलर था. अगर वो बांग्लादेश की आर्थिक मांगों को पूरा करता है तो इसके लिए उसे अपने इस मुद्रा भंडार से एक चौथाई से ज्यादा रकम उसे देनी होगी. पाकिस्तान के मौजूदा वित्तीय परिदृश्य में यह संभव नहीं नजर आता. इसके अलावा पाक सेना के कथित अत्याचारों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने वाली मांग भी वह शायद ही माने."

वरिष्ठ महिला पत्रकार औऱ राजनीतिक विश्लेषक शिखा मुखर्जी भी चक्रवर्ती की बातों से सहमत हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "यह तो शीशे की तरह साफ है कि बीते साल शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश का झुकाव पाकिस्तान की ओर बढ़ा है. लेकिन यह अनसुलझे मुद्दे ही उन दोनों के आपसी संबंधों की राह का सबसे बड़ा रोड़ा हैं. यह मुद्दा एक दिन में हल नहीं होगा. शायद दोनों देशों की सरकार आम लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बातचीत के बहाने इसे लंबे समय तक खींचने का मन बना चुकी हैं."

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