Afghanistan: तालिबान ने महिलाओं पर लगाई एक और कड़ी पाबंदी, तेज आवाज में बोलने से रोका; जानें इस अजीबोगरीब नियम के बारे में
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं पर एक और कड़ी पाबंदी लगाई है. अब उन्हें कुरान को जोर से पढ़ने से रोका गया है. तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने इसे एक ऐसी नीति के रूप में पेश किया है, जो पहले से मौजूद नियमों का विस्तार है.
Taliban's Latest Ban: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं पर एक और कड़ी पाबंदी लगाई है. अब उन्हें कुरान को जोर से पढ़ने से रोका गया है. तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने इसे एक ऐसी नीति के रूप में पेश किया है, जो पहले से मौजूद नियमों का विस्तार है. उनके अनुसार, महिलाओं की आवाज को एक तरह से प्राइवेट माना गया है, जिसे दूसरों को सुनाई नहीं देना चाहिए. इससे पहले, महिलाओं को अजान और तकबीर कहने की अनुमति नहीं थी. इस नए नियम से महिलाओं की सामाजिक उपस्थिति और भी कम हो जाएगी, क्योंकि अब उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर एक-दूसरे के साथ बात करते हुए भी सख्ती से रोका जाएगा.
हनाफी ने कहा कि महिलाओं की आवाज को "वाइस" का उपकरण माना गया है. यह पाबंदी न केवल प्रार्थना तक सीमित है, बल्कि निजी बातचीत पर भी असर डाल सकती है.
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हाल ही में, तालिबान ने एक अन्य आदेश जारी किया, जिसमें महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर अपने पूरे शरीर को ढकने की आवश्यकता बताई गई है. महिलाओं को अब अजनबी पुरुषों से आंखों से भी संपर्क करने की अनुमति नहीं है. अगर कोई महिला इन नियमों का पालन नहीं करती है, तो उसे सजा का सामना करना पड़ सकता है. एक हजरत की दाई ने बताया कि उन्हें पुरुषों से मेडिकल मामलों पर चर्चा करने से रोका जाता है. ऐसे में, विश्व समुदाय और महिला अधिकार कार्यकर्ता इस बढ़ती पाबंदियों के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ने इसे "असहनीय" करार दिया है. तालिबान के नियंत्रण के तीन साल बाद, यह स्पष्ट है कि भले ही ये आदेश सख्ती से लागू न हों, लोग डर के कारण अपने आप को नियंत्रित कर रहे हैं. अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति अब बेहद कठिन हो गई है. उनको अपने जीवन का हर पल एक जेल जैसा महसूस होता है.